अपडेटेड 1 July 2025 at 18:47 IST
विटामिन-डी न सिर्फ हड्डियों के लिए बल्कि नींद, इम्यूनिटी और मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक पोषक तत्व है। इसकी कमी से थकान, हड्डियों की कमजोरी और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, लेकिन कुछ लक्षण खासतौर पर रात में दिखाई देते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
विटामिन-डी शरीर की सर्कैडियन रिदम को प्रभावित करता है। इसकी कमी से नींद बार-बार टूट सकती है और नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
विटामिन-डी मेलाटोनिन और सेरोटोनिन के प्रोडक्शन को नियंत्रित करता है। इन हार्मोनों में असंतुलन नींद न आने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
विटामिन-डी की कमी से रात में मूड स्विंग्स और मानसिक बेचैनी बढ़ सकती है।
इनमें हाई लेवल विटामिन-डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है।
एक अंडे की जर्दी में लगभग 40 IU विटामिन-डी होता है।
फोर्टिफाइड दूध, दही और पनीर विटामिन-डी के अच्छे स्त्रोत हैं।
धूप में सुखाए गए मशरूम में 2000 IU तक विटामिन-डी हो सकता है।
संतरे का जूस, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, सोया/बादाम मिल्क जैसे विकल्पों में विटामिन-डी जोड़ा जाता है।
एक चम्मच से लगभग 500 IU विटामिन-डी मिलता है।
रिकोटा पनीर जैसे कुछ चीजों में थोड़ी मात्रा में विटामिन-डी होता है।
विटामिन-डी की कमी एक साइलेंट समस्या है, लेकिन इसके प्रभाव गहरे होते हैं, खासकर रात में नींद पर इसका खास असर देखने मिलता है। सही समय पर लक्षणों को पहचानकर और संतुलित डाइट अपनाकर इससे बचा जा सकता है। धूप में समय बिताना और सही फूड्स का सेवन इस दिशा में पहला कदम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो, विटामिन-डी की नियमित जांच और संतुलित पोषण योजना आवश्यक है।
पब्लिश्ड 1 July 2025 at 18:47 IST