अपडेटेड 21 August 2024 at 16:53 IST

तनाव और एंग्जाइटी का पीरियड्स पर कैसे पड़ता है असर? क्या मिस या देर से आने का हो सकता है ये कारण

Periods: हर महिला को मासिक धर्म यानी पीरियड्स से हर महीने गुजरना पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तनाव और एंग्जाइटी का पीरियड्स पर किस तरह असर होता है?

Stress And Anxiety How Affect Periods
स्ट्रेस का पीरियड्स पर कैसा असर पड़ता है? | Image: Freepik

Stress And Anxiety How Affect Periods: मासिक धर्म यानी पीरियड्स से हर महीने महिलाओं को गुजरना पड़ता है। आमतौर पर 3 से 8 दिनों तक चलने वाला मासिक धर्म (Periods) 21 से 35 दिनों के बीच होता है। हालांकि कई बार यह काफी लेट हो जाता है। यह हर महिला में अगल-अलग होता है, क्योंकि हर किसी का लाइफस्टाइल (Lifestyle) और खानपान अलग होता है। वहीं महिलाओं के लाइफस्टाइल की छोटी से छोटी गलती भी पीरियड्स साइकिल को प्रभावित कर सकती है। इन्हीं में तनाव और एंग्जाइटी (Stress And Anxiety) भी है। ऐसे में आइए जानते हैं कि तनाव और एंग्जाइटी का पीरियड्स पर कैसा असर पड़ता है।

दरअसल, आजकल की बदलती लाइफस्टाइल, ऑफिस और घर के बढ़ते कामों को लेकर अक्सर ही महिलाएं तनाव और चिंता (Stress And Anxiety) का शिकार हो जाती है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि तनाव और एंग्जाइटी का पीरियड्स साइकिल पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। साथ ही इससे मासिक धर्म (Periods) में देरी या फिर मिस होने जैसी समस्याएं होने लगती है। आइए जानते हैं तनाव और एंग्जाइटी पीरियड्स को कैसे प्रभावित करती है।

तनाव और एंग्जाइटी पीरियड्स को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

हार्मोनल डिसबैलेंस (Hormonal Imbalance)
आपको बात दें कि मासिक धर्म के कंट्रोल करने वाले सभी हार्मोन ब्रेन यानी दिमाग से रिलीज होते हैं। ऐसे में जब कोई महिला ज्यादा तनाव और चिंता लेती हैं, तो इससे हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं, जिसके कारण पीरियड्स इररेगुलर और मिस हो सकते हैं।  

रिप्रोडक्टिव हार्मोन (Reproductive Hormones)
तनाव और चिंता का सिर्फ दिमाग ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है। इसके कारण पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाले रिप्रोडक्टिव हार्मोन का प्रोडक्शन कम हो जाता है, जो पीरियड्स साइकिल को प्रभावित कर सकता है। जिसकी वजह से मासिक धर्म मिस हो सकते हैं या फिर देरी भी हो सकती है।

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दर्द और क्रैंप्स (Pain And Cramps)
कई महिलाओं को पीरियड्स में बिल्कुल ही तकलीफ नहीं होती है, लेकिन कई को इतनी ज्यादा होती है कि उन्हें दवाई तक लेनी पड़ जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे तनाव और एंग्जाइटी होता है। यह मासिक धर्म में दर्द या क्रैंप्स को बढ़ाने का काम करते हैं। दरअसल, शरीर में तनाव हार्मोन का लेवल बढ़ा देता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकता है।

कम ब्लीडिंग (Less Bleeding)
कई बार कुछ महिलाओं में कम ब्लीडिंग की शिकायत होने लगती है। इसके पीछे भी तनाव और एंग्जाइटी होती है। हालांकि इसकी वजह से कुछ महिलाओं में ज्यादा ब्लीडिंग भी हो सकती है।

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प्रिमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome)
तनाव और चिंता पीरियड्स से पहले प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षणों को और बढ़ा सकते हैं, जैसे कि मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और थकावट।  

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 21 August 2024 at 15:49 IST