अपडेटेड 7 July 2025 at 13:17 IST
गांजा पीते ही सुध-बुध खो बैठता है इंसान, जानिए कैसे करता है ये दिमाग पर हमला; तुरंत छोड़ दें ये लत
गांजा का नशा सिर्फ एक कुदरती सुकून नहीं है, यह आपके दिमाग की नींव को खोखला कर देता है। THC जैसे केमिकल धीरे-धीरे आपकी याददाश्त, निर्णय क्षमता और सोचने की ताकत छीन लेते हैं। गांजा का नशा करने वाला शख्स बहुत ही जल्दी स्किजोफ्रेनिया और एंग्जायटी जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बन जाते हैं।
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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Cannabis: आज की भाग दौड़ वाली लाइफस्टाइल में हर शख्स तनाव का शिकार है। ऐसे में तनाव कम करने के लिए कोई सिगरेट का सहारा लेता है तो कोई शराब का इसके अलावा कई लोग अपने तनाव को मजे से दूर करने के लिए गांजा का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग गांजा को प्राकृतिक नशा कह कर समर्थन करते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि गांजा धीरे-धीरे इंसान के दिमाग और शरीर दोनों को खाली कर देता है। जितनी आसानी से इंसान गांजा के नशे की जद में आता है ये उसके लिए उतनी ही खतरनाक साबित होती है। आइए हम आपको बताते हैं गांजा की लत कितनी खतरनाक होती है और इसकी वजह से इंसान को क्या-क्या दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
अमित एक बहुत ही होशियार और महत्वाकांक्षी लड़का था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और उसका सपना था एक बड़ा सॉफ्टवेयर डेवेलपर बनने का। पढ़ाई के साथ बढ़ते तनाव को कम करने के लिए उसके दोस्तों ने उसे एक बहुत ही आसान तरीका बताया गांजा। दोस्तों ने अमित से कहा, 'थोड़ा सा ही तो है, रिलैक्स करेगा। दिमाग फ्रेश हो जाएगा।' पहली बार जब अमित ने गांजे का कश लिया, उसे लगा जैसे सारी टेंशन उड़ गई। लेकिन कुछ ही हफ्तों में उसे महसूस हुआ कि उसका ध्यान भटकने लगा है। चीजें याद नहीं रहतीं, फैसले लेने में वह हिचकने लगा, और उसकी सोचने की ताकत जैसे धुंधला गई हो।
डॉक्टर ने बताया कि गांजे में मौजूद Tetrahydrocannabinol (THC) सीधे दिमाग पर असर करता है। यह दिमाग की न्यूरल एक्टिविटी को बाधित करता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है, फैसले लेने की क्षमता घटती है और सोचने-समझने की शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। अमित को अब पछतावा हो रहा था। वो जिस दिमाग के दम पर दुनिया जीतना चाहता था, उसी दिमाग को उसने खुद नशे के धुएं में जला दिया था। अब वह रिकवरी की राह पर है गांजे से दूर, एक बार फिर से अपने दिमाग और भविष्य को संवारने की कोशिश में। गांजे का नशा सिर्फ एक कुदरती सुकून नहीं है, यह आपके दिमाग की नींव को खोखला कर देता है। THC जैसे केमिकल धीरे-धीरे आपकी याददाश्त, निर्णय क्षमता और सोचने की ताकत छीन लेते हैं। इसे जितना जल्दी छोड़ा जाए, उतना ही अच्छा। गांजा पीने से किसी भी शख्स को इन डिजीज का खतरा बना रहता है।
- मेंटल डिजीज का खतरा
- इमोशनल इनस्टेबिलिटी
- ब्रेन डेवलपमेंट पर असर (खाकर युवाओं में)
न्यूरो ट्रांसमीटर पर बड़ा इफेक्ट
नील एक क्रिएटिव लड़का था म्यूजिक बनाना, पेंटिंग करना और नई-नई चीज़ें सोचना उसका जुनून था। लेकिन कॉलेज में जाकर उसे लगा कि उसका जोश कम हो गया है। फिर किसी दोस्त ने कहा, 'गांजा ट्राय कर, मूड सेट हो जाएगा… सोचने की शक्ति और बढ़ेगी।' नील ने गांजा पीना शुरू किया। पहली बार उसे लगा जैसे दिमाग हल्का हो गया हो, खुशियों की लहर दौड़ गई हो। उसे लगा जैसे उसकी क्रिएटिविटी को नया पंख मिल गया है। लेकिन वो नहीं जानता था कि गांजे में मौजूद THC उसके दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटर खासकर डोपामिन का बैलेंस बिगाड़ रहा है। डोपामिन वही केमिकल है जो हमें खुशी, संतोष और प्रेरणा का अनुभव कराता है। धीरे-धीरे नील की हालत बदलने लगी। अब वो बिना गांजे के काम नहीं कर पाता। म्यूजिक फीका लगने लगा, दिमाग सुस्त रहने लगा, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगा। बेचैनी इतनी बढ़ गई कि वो खुद से भी भागने लगा। उसे अहसास हुआ कि जो चीज शुरू में उसे खुशी दे रही थी, अब वही उसके दुख का कारण बन चुकी थी। इलाज और काउंसलिंग के बाद अब नील फिर से अपने पुराने जीवन की ओर लौट रहा है नशे से आजाद, असली खुशी की तलाश में।
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गांजे की लत से कमजोर हो जाती है याददाश्त
श्रुति एक होशियार और महत्वाकांक्षी लड़की थी। वह लॉ की पढ़ाई कर रही थी और हर बात में तर्क और स्पष्टता से भरी रहती थी। क्लास में उसकी मिसाल दी जाती थी तेज दिमाग, मजबूत याददाश्त और फैसले लेने की जबरदस्त क्षमता। एक दिन पार्टी में एक दोस्त ने मजाक में कहा, 'थोड़ा गांजा ट्राय कर, सब वकील बनते-बनते पगला जाते हैं… तुझे थोड़ा रिलैक्स होना चाहिए।' श्रुति ने हंसते हुए एक कश लिया फिर एक और, फिर हर हफ्ते पार्टी में… और धीरे-धीरे यह आदत बन गई। कुछ महीनों में उसकी आदतें बदलने लगी वो क्लास में नोट्स भूल जाती, कोर्ट केस के फैक्ट्स गड़बड़ा देती, और कई बार ऐसा लगता जैसे दिमाग सुन्न हो गया हो। खुद को भरोसा नहीं होता कि वह जो फैसला ले रही है, वह सही है या नहीं।डॉक्टर से जांच करवाई गई तो पता चला गांजे का सेवन उसके दिमाग के हिप्पोकैम्पस पर असर डाल रहा था। यह दिमाग का वही हिस्सा है जो याददाश्त और निर्णय क्षमता को नियंत्रित करता है। THC नामक रसायन ने उसकी मानसिक स्पष्टता को धुंधला कर दिया था।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 7 July 2025 at 13:02 IST