अपडेटेड 29 May 2025 at 15:34 IST
COVID-19 के इस वैरिएंट से है साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
देश में एक बार फिर से कोविड अपने पैर पसारने लगा है। इस दौरान कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट्स की पहचान भी हो गई है। इसमें ओमिक्रॉन, बीए.2, और अब डेल्टा का बदला हुआ रूप भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने देश की जनता से एक बार फिर सतर्क रहने की अपील की है। मास्क पहनना, हाथ धोना, और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन अब पहले से भी ज्यादा ज़रूरी हो गया है।
- लाइफस्टाइल न्यूज़
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Coronavirus India Update: देश में महामारी के वायरस कोरोना ने एक बार अपनी धमक दिखानी शुरू कर दी है। अब तक एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर एक हजार से भी ऊपर हो चुकी है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और आम जनता दोनों की चिंता बढ़ गई है। इस बार महज संक्रमण नहीं, बल्कि इसकी संभावित जटिलताएं भी डराने वाली हैं। हाल ही में सामने आई एक नई रिसर्च ने चौंका देने वाला खुलासा किया है। अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 का डेल्टा वेरिएंट अब केवल फेफड़ों या बुखार तक सीमित नहीं रहा। यह 'साइलेंट हार्ट अटैक' यानी बिना लक्षणों वाले दिल के दौरे का बड़ा कारण बन सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना किसी चेतावनी के दिल की मांसपेशियों पर असर डालना इस वेरिएंट की विशेषता बन गई है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि डेल्टा वेरिएंट शरीर के कई अंगों पर सूक्ष्म असर डाल सकता है, जिनका प्रभाव कुछ हफ्तों या महीनों बाद गंभीर रूप ले सकता है। जैसे -
- थकान और दिल की धड़कन का अनियमित होना
- छाती में दबाव
- खून के थक्के बनने की प्रवृत्ति
देश में अब तक कोरोना के कई वेरिएंट्स की पहचान की जा चुकी है जिनमें ओमिक्रॉन, बीए.2, और अब डेल्टा का बदला हुआ रूप भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता से एक बार फिर सतर्क रहने की अपील की है। मास्क पहनना, हाथ धोना, और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन अब पहले से भी ज्यादा ज़रूरी हो गया है। यह नया खतरा एक अनदेखी महामारी के रूप में उभर रहा है, जहां लक्षणों के बिना गंभीर बीमारियां शरीर को अंदर ही अंदर खोखला कर सकती हैं। कोरोना वायरस को लेकर एक और अहम चेतावनी सामने आई है। आईआईटी इंदौर ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर कोविड-19 पर एक विस्तृत स्टडी की है, जिसमें वायरस के खतरनाक असर और उससे जुड़ी जटिलताओं का गहराई से विश्लेषण किया गया है।
डेल्टा वेरिएंट का शरीर पर कैसे पड़ता है प्रभाव
कोविड-19 के नए वेरिएंट्स शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं, इसे लेकर आईआईटी इंदौर और ICMR की साझा रिसर्च में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस अध्ययन में कम से कम 3,134 कोविड पॉजिटिव मरीजों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें पहली और दूसरी लहर के संक्रमितों को शामिल किया गया। स्टडी में डेल्टा, अल्फा, बीटा और गामा वेरिएंट्स की तुलना की गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि इनमें से सबसे घातक असर डेल्टा वेरिएंट का है। यह न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि शरीर के अन्य अंगों को भी गहराई से प्रभावित करता है।
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शोध के प्रमुख निष्कर्ष
- डेल्टा वेरिएंट बायोकैमिकल बैलेंस को बिगाड़ देता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली में गड़बड़ी आ जाती है।
- यह वेरिएंट थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को भी बाधित करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म और हार्मोनल संतुलन पर असर पड़ता है।
- इसके अलावा, खून का थक्का जमने और दिल संबंधी बीमारियों की संभावना भी डेल्टा वेरिएंट में अधिक पाई गई है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि ये परिणाम दिखाते हैं कि कोरोना अब सिर्फ एक सांस की बीमारी नहीं रह गई, बल्कि यह एक मल्टी-ऑर्गन डिसऑर्डर बन चुका है, जो लंबे समय तक शरीर पर असर छोड़ सकता है।
- यह रिसर्च एक बार फिर इस बात की पुष्टि करती है कि कोरोना वायरस के वेरिएंट्स को हल्के में नहीं लिया जा सकता, और उनके खिलाफ लगातार सतर्कता, निगरानी और रिसर्च की ज़रूरत है।
कोविड के नए मामलों पर बोले ICMR के महानिदेशक
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश में कोविड के नए मामलों को लेकर कहा कि देश में कोविड के मामले जरूर बढ़ रहे हैं लेकिन फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। डॉ. बहल ने स्पष्ट किया कि
- अधिकांश मामले हल्के हैं और गंभीर लक्षणों वाले केस बहुत कम सामने आ रहे हैं।
- अस्पताल में भर्ती होने की दर भी न्यूनतम बनी हुई है।
- सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां सभी मामलों की सक्रिय निगरानी कर रही हैं, ताकि संक्रमण पर समय रहते काबू पाया जा सके।
- कोविड के हर नए वेरिएंट पर नजर रखी जा रही है, और यदि किसी नए स्वरूप में खतरे की आशंका दिखती है, तो उचित कदम तुरंत उठाए जाएंगे।
डॉ. बहल ने लोगों से सतर्क रहने, बुनियादी सावधानियों का पालन करने, और स्वास्थ्य विभाग की सलाह को मानने की अपील भी की। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में कोविड से जुड़ी एक नई रिसर्च और वेरिएंट्स के प्रभाव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 29 May 2025 at 15:34 IST