अपडेटेड 8 June 2025 at 10:25 IST
Amla for liver health: भारत के पारंपरिक आयुर्वेद में आंवले को 'अमृत' कहा गया है और इसके पीछे ठोस कारण हैं। विटामिन C, फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह फल लिवर के स्वास्थ्य को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है। बतादें आंवले का सेवन कई तरह से किया जाता है। लोग इसका जूस, मुरब्बा, चटनी और कैंडी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वहीं कई लोग इसे कच्चा खाना भी पसंद करते हैं।
आंवला लिवर के डिटोक्स करने वाले काम को उत्तेजित करता है, इससे न सिर्फ पाचन बेहतर होता है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों की सफाई भी सुचारू रूप से होती है। आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट लीवर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर लिवर को दीर्घकालिक सुरक्षा देता है।
लीवर और पाचन का गहरा संबंध है। आंवला गैस्ट्रिक जूस के प्रवाह को बढ़ाकर पाचन क्षमता को सुधारता है, जिससे पोषक तत्व बेहतर तरीके से पचते हैं और लीवर पर बोझ भी घटता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) तेजी से फैल रही है। अध्ययन बताते हैं कि आंवला लीवर में फैट जमाव को कम करता है और ट्राइग्लिसराइड स्तर को नियंत्रित करता है। इससे NAFLD (Nonalcoholic fatty liver disease) को रोका जा सकता है।
यदि किसी को हेपेटाइटिस, एल्कोहल या दवाओं के कारण लिवर डैमेज हुआ है, तो आंवला सेल रिपेयर में मदद कर सकता है। यह लीवर के टिशू को रीजेनेरेट कर अंग के कार्यों को दोबारा सामान्य बनाने में भूमिका निभाता है। आंवला सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि लिवर के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक है। इसे अपने आहार में शामिल करना लीवर की सुरक्षा और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए एक सरल लेकिन प्रभावशाली कदम हो सकता है। आयुर्वेद के इस उपहार को अपनाकर आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से किया जा सकता है।
पब्लिश्ड 8 June 2025 at 10:25 IST