अपडेटेड 31 January 2025 at 18:08 IST
1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 महात्मा गांधी 5 बार हुए नामांकित, फिर भी क्यों नहीं मिला नोबेल शांति पुरस्कार?
अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को पूरी दुनिया में अहिंसा के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए था, 5 बार नामांकित भी हुए।
- भारत
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नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानजनक पुरस्कारों में से एक है, जिसे स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल (Alfred Nobel) की वसीयत के अनुसार 1901 से दिया जा रहा है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो।
शुरुआत में नोबेल पुरस्कार 5 श्रेणियों में दिया जाता था, लेकिन बाद में इसमें एक और श्रेणी जोड़ी गई। अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत का हिस्सा नहीं था, इसे 1968 में स्वीडिश सेंट्रल बैंक ने स्थापित किया और 1969 से इसे प्रदान किया जाने लगा। रवींद्रनाथ टैगोर, नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे, उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 1913 से लेकर 2024 तक भारत की धरती पर 9 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने जन्म लिया है।
नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय
- रवींद्रनाथ टैगोर, साहित्य (1913)
- सी. वी. रमन, भौतिकी (1930)
- हरगोविंद खुराना, चिकित्सा (1968)
- मदर टेरेसा, शांति (1979)
- सुब्रमण्यन चंद्रशेखर, भौतिकी (1983)
- अमर्त्य सेन, अर्थशास्त्र (1998)
- वैंकट रामकृष्णन, रसायन (2009)
- कैलाश सत्यार्थी, शांति (2014)\
- अभिजीत बनर्जी, अर्थशास्त्र (2019)
महात्मा गांधी 5 बार हुए नामांकित
मोहनदास करमचन्द गांधी को पूरी दुनिया में अहिंसा के लिए जाना जाता है। यह माना जाता है कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए महात्मा गांधी को चुना जाना चाहिए था। हालांकि, महात्मा गांधी को 5 बार (1937, 1938, 1939, 1947, 1948) इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित किया था, लेकिन उन्हें कभी यह सम्मान नहीं मिला।
महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिला?
महात्मा गांधी को 'अहिंसा और सत्याग्रह' के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अहिंसक संघर्ष किया था, फिर भी उन्हें कभी भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया। महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिला? इस सवाल को अक्सर पूछा जाता है। इसके पीछे कई संभावित कारण माने जाते हैं और कई सवाल भी उठते रहे हैं।
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शांति के लिए नोबेल पुरस्कार नॉर्वेजियन नोबेल समिति देती है। क्या नॉर्वेजियन नोबेल समिति का सोचने-समझने का पहलू बहुत संकीर्ण था? क्या समिति के सदस्य गैर-यूरोपीय लोगों के स्वतंत्रता संग्राम को समझने में असमर्थ थे? या फिर नॉर्वेजियन समिति के सदस्य शायद इस बात से डरते थे कि इस तरह का पुरस्कार उनके देश और ग्रेट ब्रिटेन के बीच संबंधों के लिए हानिकारक हो सकता है? 1960 तक, नोबेल शांति पुरस्कार लगभग विशेष रूप से यूरोपीय और अमेरिकी लोगों को ही दिया जाता था।
ब्रिटेन और नॉर्वे के राजनीतिक संबंध
गांधी जी का संघर्ष मुख्य रूप से ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ था। नॉर्वे और ब्रिटेन के मजबूत राजनयिक संबंधों के कारण नॉर्वेजियन नोबेल समिति पर दबाव हो सकता था कि वे ब्रिटेन के खिलाफ खड़े लोगों को सम्मानित न करें। नोबेल समिति अहिंसा के बावजूद उनके आंदोलनों को पूर्ण रूप से "शांतिपूर्ण" मानने को लेकर तैयार नहीं थी।
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1947 में नोबेल शांति पुरस्कार क्वेकर्स (The Friends Service Council) को दिया गया, जिनका मानवीय कार्यों में बड़ा योगदान था। गांधी जी का संघर्ष एक स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा था, जिसे कुछ लोग "राजनीतिक" मान सकते थे, जबकि नोबेल शांति पुरस्कार अधिकतर राजनैतिक तटस्थता रखने वाले संगठनों और व्यक्तियों को दिया जाता था।
हत्या से कुछ दिन पहले नामांकित
गांधी जी को 1948 में नोबेल शांति पुरस्कार देने पर विचार किया जा रहा था, लेकिन 30 जनवरी, 1948 को उनकी हत्या हो गई। नोबेल समिति के नियमों के अनुसार मरणोपरांत पुरस्कार देने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें पुरस्कार नहीं दिया जा सका।
नोबेल समिति का पछतावा
2006 में नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने स्वीकार किया कि महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार न देना उनकी सबसे बड़ी चूक थी। नोबेल समिति के पूर्व अध्यक्ष गेर लुंडेस्टैड (Geir Lundestad) ने कहा था कि गांधी जी को सम्मानित न करना नोबेल पुरस्कार के इतिहास की एक सबसे बड़ी गलती थी। 1989 में जब दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया, तो समिति के अध्यक्ष ने कहा कि यह "आंशिक रूप से महात्मा गांधी की स्मृति को श्रद्धांजलि" है। हालांकि, नोबेल समिति ने कभी यह स्पष्ट नहीं किया कि गांधी जी को पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया।
शांति और अहिंसा के सबसे बड़े प्रतीक
महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उनके विचार और उनकी अहिंसक लड़ाई ने दुनिया भर में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, और दलाई लामा जैसे नेताओं को प्रेरित किया। महात्मा गांधी आज भी शांति और अहिंसा के सबसे बड़े प्रतीक के रूप में पहचाने जाते हैं।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 31 January 2025 at 18:08 IST