अपडेटेड 14 February 2025 at 11:46 IST
मणिपुर में अब राष्ट्रपति शासन; खुद के 37 विधायक, अन्य 11 सदस्यों का समर्थन... BJP ने क्यों नहीं चुना CM...जानें Inside Story
60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास 37 विधायक हैं। उसके अलावा दूसरे दलों के 11 सदस्यों का समर्थन बीजेपी को सरकार में रहते मिला।
- भारत
- 3 min read

Manipur: मणिपुर में नया मुख्यमंत्री नहीं चुने जाने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगना बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी के ऊपर सवाल खड़े करता है। ऐसा नहीं है कि मणिपुर में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास 37 विधायक हैं। उसके अलावा दूसरे दलों के 11 सदस्यों का समर्थन बीजेपी को सरकार में रहते मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत क्यों आई?
वैसे मणिपुर कई महीनों से अशांति से माहौल के गुजर रहा है। यहां हिंसाएं देखी गई हैं। 200 से ज्यादा लोग बेमौत मर चुके हैं और इन हिंसाओं में हजारों लोग बेघर हुए हैं। जातीय हिंसाओं के बाद दबाव, विपक्ष की अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी के बीच मणिपुर में एन बीरेन सिंह को 9 फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी के पास नया मुख्यमंत्री चुनने का विकल्प था, लेकिन पार्टी ने उस विकल्प को नहीं चुना, जिसके कारण 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन की नौबत आ गई।
मणिपुर में BJP ने कोई नया नेता क्यों नहीं चुना?
मणिपुर के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से एक बात स्पष्ट होती है कि राज्य में बीजेपी की लीडरशिप बंटी है। सीधे शब्दों में कहें तो बीजेपी के लिए राज्य की मौजूदा परिस्थितियां एक तरीके से अनुकूल नहीं हैं। पार्टी में बगावत के सुर वैसे भी पिछले साल से ही छिड़े थे। खासकर तब जब एन बीरेन सिंह के खिलाफ 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। इन नेताओं में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष और कुछ मंत्री भी शामिल थे, जो बीरेन सिंह को हटाने के पक्ष में खड़े थे।
हालांकि बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद ऐसा नहीं है कि बीजेपी एकदम खामोश रही। बीजेपी ने संबित पात्रा को मणिपुर की जिम्मेदारी सौंपी, जो विधायकों से मिले। राज्य के राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर में बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री को लेकर सहमति नहीं बन पाई। कुकी समुदाय के विधायक पहले ही बीरेन सिंह और उनके चहेते नेताओं के खिलाफ थे, जबकि मैतई समुदाय को भी कुकी नेतृत्व शायद ही पसंद आता। कुल मिलाकर नए मुख्यमंत्री पर फैसला नहीं हुआ और स्थितियां राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ीं।
Advertisement
अब बीजेपी के पास क्या रास्ता बचा?
खैर, मणिपुर में राष्ट्रपति शासन अभी लागू किए जाने से मुख्यमंत्री बनने की संभावना पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। ऐसा इसलिए कि मणिपुर की विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, बल्कि एक तरीके से कुछ समय के लिए निलंबित किया गया है। इस स्थिति में बीजेपी के पास पार्टी के अंदर मतभेद को दूर करने के साथ नए मुख्यमंत्री पर सहमति बनाने का वक्त होगा। इतना ही नहीं, बीजेपी ने फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव का सामना ना करने खुद भी छवि भी बचा ली है। अगर बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री रहते विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव आता, जिसकी तैयारी लगभग थी तो बीजेपी की साख पर सीधा असर होगा, क्योंकि कई विधायक बगावत के सिरे पर खड़े थे।
Advertisement
Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 14 February 2025 at 11:46 IST