अपडेटेड 26 January 2025 at 08:11 IST
कौन हैं साध्वी ऋतंभरा? जिनकी हुंकार से राम मंदिर आंदोलन में कूद पड़ी थीं हजारों महिलाएं, उन्हें मिला पद्म भूषण
Who is Sadhvi Ritambhara: साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। उन्हें सामाजिक कार्य के लिए देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है।
- भारत
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Who is Sadhvi Ritambhara: गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले, शनिवार (25 जनवरी) को भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कारों का ऐलान किया। इस साल देश की कुल 139 बड़ी हस्तियां को इन पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इनमें से 113 हस्तियों को पद्मश्री, 19 को पद्म भूषण और 7 को पद्म विभूषण से नवाजा जाएगा। कला के क्षेत्र में इस साल कुल 51 हस्तियों के नाम सूची में हैं। इस लिस्ट में साध्वी ऋतंभरा का नाम भी है जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदुओं से साथ आने का आह्वाहन किया था।
घोषित नागरिक पुरस्कारों में सात पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान के मुताबिक, 'पुरस्कार पाने वालों में 23 महिलाएं हैं। इस लिस्ट में विदेशी, एनआरआई, पीआईओ, ओसीआई श्रेणी से भी 10 लोग शामिल हैं। साथ ही 13 को मरणोपरांत सम्मानित किया गया है।
कौन हैं साध्वी ऋतंभरा?
साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। उन्हें सामाजिक कार्य के लिए देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है। राम जन्मभूमि आंदोलन को अपने भाषणों के जरिये धार देने वाली साध्वी ऋतंभरा का नाम पहले निशा किशोरी था। पंजाब के मंडी गांव दौराहा की रहने वाली साध्वी ऋतंभरा गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थीं। एक इंटरव्यू में साध्वी ऋतंभरा ने खुलासा किया था कि दो किरायेदार लड़कों से दोस्ती की वजह से उनकी मां ने उन्हें थप्पड़ जड़ा था। इसी घटना के बाद से वो घर पर रहने से कतराने लगी, उनका मन नहीं लगा। उन्होंने बताया था कि गुस्से की वजह वह घर छोड़कर चली गई थीं।
इसके बाद साध्वी ऋतंभरा हरिद्वार के संत स्वामी परमानंद गिरी के आश्रम पहुंचीं। स्वामी परमानंद की शिष्या बनने के बाद उन्हें साध्वी ऋतंभरा नाम मिला। फिर वह स्वामी परमानंद के साथ देश भ्रमण पर निकलीं और बोलने की कला सीखी। धीरे-धीरे फिर वो हिंदू विश्व परिषद से जुड़ीं। अब तक क्योंकि वो बोलने में अपनी अच्छी पकड़ बना चुकी थी इसलिए उन्हें प्रवक्ता भी बना दिया गया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान आलम यह था कि उनके भाषणों के कैसेटस बेचे जाने लगे।
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साध्वी ऋतंभरा का विवादों से रहा है नाता
बताया जाता है किउनके भाषणों पर भी रोक लगा दी गई थी। 1995 में जब साध्वी ऋतंभरा अपने भाषणों के लिए चर्चित हो रही थी। उसी दौरान उन्होंने इंदौर की एक जनसभा में धर्म परिवर्तन कराने वाली ईसाई मिशिनरी पर अपने विचार रखे थे। तब तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह के आदेश पर साध्वी को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद वह लगभग 11 दिनों तक जेल में रहीं और हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह रिहा हुई थीं। इसके बाद एक बार फिर 2022 में उनका नाम सुर्खियों में आया जब अमेरिका में न्यू जर्सी के चर्च ने उनकी यात्रा का विरोध किया था।
इसके अलावा राम मंदिर आंदोलन के बाद साध्वी ऋतंभरा ने वृंदावन में अनाथ बच्चों और बुजुर्गों के वात्सल्य ग्राम की स्थापना की थी। वह तीन दशक तक अनाथ बच्चों और बुजुर्गों की सेवा-सत्कार में लगी रहीं। वात्सल्य ग्राम के बच्चे उन्हें दीदी मां कहकर बुलाते हैं। वह रामकथा और श्रीमदभगवत को लेकर प्रवचन देती हैं जिन्हें लोग बड़े ही श्रद्धाभाव से सुनते हैं। बता दें कि सेवा में लगी ऋतंभरा ने उस वक्त राजनीति बयानों और कार्यक्रम से दूरी बना ली थी।
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Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 26 January 2025 at 08:10 IST