अपडेटेड 29 April 2025 at 00:01 IST
पैरों में चप्पल और चलने में कठिनाई, कौन हैं Bhimavva Doddabalappa Shilliekyatara जिनके लिए राष्ट्रपति ने तोड़ा प्रोटोकॉल
कर्नाटक के कोप्पल जिले की रहने वाली भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा कठपुतली कलाकार हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें सम्मानित किया।
- भारत
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Padma Awards 2025 : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में साल 2025 के लिए 71 प्रमुख हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। उन्होंने 4 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 57 पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इनका ऐलान किया गया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुजुकी मोटर के पूर्व प्रमुख दिवंगत ओसामु सुजुकी (मरणोपरांत), प्रसिद्ध गायक दिवंगत पंकज उधास (मरणोपरांत), बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिवंगत सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत), शेखर कपूर और वायलिन वादक सुब्रमण्यम समेत 71 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 139 प्रतिष्ठित व्यक्तियों का पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री के लिए ऐलान किया गया था, जिसमें 23 महिलाएं शामिल हैं।
भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा को पद्म श्री
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कला के क्षेत्र में 96 साल की कठपुतली कलाकार भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा (Bhimavva Doddabalappa Shilliekyatara) को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया है। जब पैरों में चप्पल पहने और लडखडाते हुए भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा राष्ट्रपति से पद्मश्री लेने पहुंचीं तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य मंत्री भी ताली बजाते हुए नजर आए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें सम्मानित करने आई।
कर्नाटक के कोप्पल जिले की रहने वाली भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा भारतीय कठपुतली कलाकार (Puppeteer) हैं। वे कर्नाटक की सदियों पुरानी पारंपरिक कठपुतली कला तोगलु गोम्बेयाटा (Togalu Gombeyaata) की संरक्षक हैं। इस कला के माध्यम से वे 70 साल से अधिक समय से रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को जीवंत करती रही हैं।
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क्या है तोगलु गोम्बेयाटा?
तोगलु गोम्बेयाटा कर्नाटक की एक छाया कठपुतली कला है, जिसमें चमड़े से बनी कठपुतलियों का उपयोग कर कहानियों को प्रदर्शित किया जाता है। भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्यथारा कला प्रेमियों और हम सबके के लिए एक जीवंत प्रेरणा हैं। उन्होंने ने 12 से अधिक देशों में तोगलु गोम्बेयाटा के प्रदर्शन किए, जिससे इस प्राचीन कला को भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहचान मिली है। उन्होंने हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने काम किया है। इस पारंपरिक कला को जीवित रखने और अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिससे ना सिर्फ इस कला के माध्यम से पौराणिक और सांस्कृतिक कहानियों को जिंदा रखा जा सका साथ ही मनोरंजन और भारतीय संस्कृति को भी बढ़ावा मिला।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 29 April 2025 at 00:01 IST