अपडेटेड 31 July 2025 at 21:09 IST

कौन हैं कर्नल पुरोहित, मालेगांव ब्लास्ट केस में क्या था आरोप, 17 साल में प्रमोशन होता तो कहां पहुंच जाते?

Malegaon Blast Case: मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया, जिसमें लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित भी शामिल रहे। NIA की स्‍पेशल कोर्ट ने उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया। इस मामले में वो 9 साल तक जेल में रहे। 2017 में कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।

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colonel purohit | Image: X

Malegaon Blast Case: 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी 7 आरोपी बरी हो गए। इसमें पूर्व BJP सांसद साध्वी प्रज्ञा, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित समेत अन्य लोग शामिल हैं। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी को बरी कर दिया।

कर्नल पुरोहित भारतीय सेना के एक अधिकारी हैं। मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें भी आरोपी बनाया गया था। मामले में 2008 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। 9 साल तक वो जेल में रहे, जहां उन्हें टॉर्चर भी किया गया। कर्नल पुरोहित को साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।

कौन हैं कर्नल पुरोहित? 

लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित भारतीय सेना के एक अधिकारी हैं। वो मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) में कार्यरत रहे। मुख्य तौर पर सेना में उनकी भूमिका आतंकवाद-निरोधी गतिविधियों से जुड़ी है। जम्मू-कश्मीर में उनकी तैनाती रही।

कर्नल पुरोहित महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रहते हैं। उनके पिता बैंक ऑफिसर थे। कर्नल पुरोहित को साल 1994 में मराठा लाइट इन्फेंट्री में जगह मिली थी। हालांकि बाद में बीमारी की वजह से उनको मिलिट्री इंटेलीजेंस में शिफ्ट किया गया। कर्नल पुरोहित साल 2002 से 2005 में आतंक-विरोधी ऑपरेशन के लिए उनको MI-25 इंटेलीजेंस फील्ड सिक्योरिटी यूनिट में तैनात किया गया।

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कर्नल पुरोहित पर क्या लगे थे आरोप? 

मालेगांव ब्लास्ट मामले में जांच में दावा किया गया था कि कर्नल पुरोहित ने कथित साजिश में सक्रिय रूप से भूमिका निभाई थी। उन पर ‘अभिनव भारत’ नाम का एक संगठन को खड़ा करने और धमाके की साजिश में मदद करने का आरोप है। उन पर विस्फोटक मुहैया कराने के भी आरोप लगे थे।

मालेगांव ब्लास्ट केस में कर्नल पुरोहित ने कोर्ट में बताया था कि किस तरह से उनको इस केस में फंसाया गया और जेल में उनको टॉर्चर भी किया गया था। कोर्ट में उनके वकील ने बताया कि उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया था।

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कर्नल पुरोहित ने बयान में अफसरों पर अवैध रूप से उनसे पूछताछ करने का आरोप लगाया। साथ ही यह भी दावा किया कि उन पर RSS-विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों समेत गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाल रहे थे।

प्रमोशन होता तो आज कहां होते? 

कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से 2017 में जमानत मिलने के बाद को सेना ने सेवा में फिर से बहाल कर दिया था। वे फिलहाल फील्ड ड्यूटी पर नहीं हैं। वहीं, इस दौरान वह प्रमोशन के तमाम मौके गंवाते गए। मालेगांव का जब कोर्ट में केस चल रहा था, तो मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में उनकी तैनाती की गई थी। कर्नल पुरोहित में कई सहकर्मी आज के समय में प्रमोशन पाकर सेना में ब्रिगेडियर और यूनिट हेड के लेवल तक पहुंच चुके हैं। अगर लेफ्टिनेंट कर्नल भी प्रमोशन पाते तो वो ऐसी पोस्ट पर होते।

कर्नल पुरोहित के खिलाफ नहीं मिले सबूत- कोर्ट

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि न तो बम मिला, न RDX और न ही कोई फिंगरप्रिंट। इस मामले में ATS और NIA की चार्जशीट में काफी अंतर है। फैसले के मुताबिक, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में था। मामले में ये सबूत भी नहीं मिला कि कर्नल पुरोहित ने बम बनाया या फिर उसे सप्लाई किया था। बम किसने लगाया ये कोर्ट में साबित नहीं हो पाया। वहीं, घटना के बाद सबूत इकट्ठा नहीं किए गए, जिससे इसमें गड़बड़ी हुई।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 31 July 2025 at 21:09 IST