अपडेटेड 15 November 2025 at 23:55 IST
'राष्ट्रीयता के कारण दुनिया में युद्ध हो रहे हैं...', मोहन भागवत का सवाल- मनुष्य जाति का अस्तित्व रहेगा या नहीं?
Mohan Bhagwat : RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "मानव, जो कभी जलवायु के सभी उतार-चढ़ावों को झेल सकता था, आज तेजी से कमजोर होता जा रहा है। और यह सब इसलिए हो रहा है... क्योंकि तथाकथित विकास और प्रगति सभी तक नहीं पहुंच पाई है।"
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Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत आज राजस्थान की राजधानी जयपुर में थे। यहां वे एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में शामिल हुए।
इस खास मौके पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा,"एकात्म मानवदर्शन के 60 वर्ष पूरे हो गए हैं। एकात्म मानवदर्शन जब सभी के सामने रखा गया तो उस वक्त के विश्व का परिदृश्य और आज के विश्व के परिदृश्य में बहुत बड़ा अंतर है... दीनदयाल जी के समय इस दर्शन के प्रयोग व्यापक प्रमाण पर हो, उसके लिए उस समय आवश्यक परिस्थिति नहीं थी... आज संपूर्ण विश्व में लोग धीरे-धीरे इस मान्यता पर आ रहे हैं।"
मनुष्य का ज्ञान बहुत बढ़ गया है- मोहन भागवत
जयपुर में एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में शामिल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "आज हम देखते हैं कि विज्ञान की पद्धति अपने चरम की ओर जा रही है। मनुष्य का ज्ञान बहुत बढ़ गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "मनुष्य के जीवन में कष्ट परिश्रम करने वाले साधन है... आज एक क्लिक के जरिए आप अपना संदेश कहीं भी भेज सकते हैं और उसी क्षण उसका उत्तर भी आ सकता है... क्या इतनी सुविधाएं प्राप्त होने के बाद भी मनुष्य के मन में शांति है?"
मानव आज तेजी से कमजोर होता जा रहा है- RSS प्रमुख
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "मानव, जो कभी जलवायु के सभी उतार-चढ़ावों को झेल सकता था, आज तेजी से कमजोर होता जा रहा है। और यह सब इसलिए हो रहा है... क्योंकि तथाकथित विकास और प्रगति सभी तक नहीं पहुंच पाई है।"
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उन्होंने आगे कहा, "इसलिए, एक पूरा वर्ग ऐसा है जिसने यह सारा विकास नहीं देखा है। विकास हो रहा है, लेकिन इसे देखने वाले लोग गिने-चुने हैं, और उनके विकास के संसाधन विकास से वंचित बहुसंख्यक लोगों से प्राप्त किए जा रहे हैं।"
राष्ट्रीयता के कारण दुनिया में युद्ध हो रहे हैं - मोहन भागवत
मोहन भागवत ने यह भी कहा कि 4 फीसदी लोग विश्व की 80 फीसदी संसाधनों का उपभोग कर रहे हैं। दुनिया में अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब और गरीब होता जा रहा है। खाई बढ़ती जा रही है, मनुष्य जाति का विकास तो हो रहा है लेकिन मनुष्य का अस्तित्व रहेगा या नहीं विकट प्रश्न है।
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उन्होंने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर हो रहे युद्धों के तरीके बदले हैं। राष्ट्रीयता के कारण दुनिया में युद्ध हो रहे हैं, अंतर्राष्ट्रीयता की बात करते हुए, कुछ शक्तिशाली देश कमजोर देशों पर अपना अधिकार थोपते हैं। बलवानों की लड़ाई के कारण बाकियों को कष्ट उठाना पड़ रहा है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ बीमारियां दवाइयों के कारण ही होती हैं, मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। जितनी दवाइयां निकली उतनी ही बीमारियां निकली हैं।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 15 November 2025 at 23:52 IST