अपडेटेड 29 November 2024 at 10:53 IST

संभल में हिंसा अचानक हुई घटना सा प्री-प्‍लान? जांच के लिए UP सरकार ने बनाया न्‍यायिक आयोग

उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की घोषणा की है।

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Sambhal Violence
Sambhal Violence | Image: PTI

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की घोषणा की है। अपर मुख्‍य सचिव (गृह) दीपक कुमार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने जनहित में और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए गहन जांच करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इसमें कहा गया कि जांच आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा करेंगे और अन्य सदस्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अरविंद कुमार जैन शामिल हैं।

अचानक हुई या सुनियोजित थी घटना

जांच में पता लगाया जाएगा कि यह घटना अचानक हुई या किसी सुनियोजित आपराधिक साजिश का हिस्सा थी और घटना के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन और प्रशासन की तैयारियों की भी जांच की जाएगी। अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘आयोग चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें यह निर्धारित करना भी शामिल है कि क्या यह घटना किसी सुनियोजित आपराधिक साजिश का परिणाम थी। आयोग जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई कानून-व्यवस्था की तैयारियों की जांच करेगा, घटना की परिस्थितियों और कारणों का विश्लेषण करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिशें करेगा।’’

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सर्वे के दौरान भड़की थी हिंसा

संभल की एक अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार सर्वेक्षण किए जाने के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया जिसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है, वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था।

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मस्जिद का 24 नवंबर को दोबारा सर्वेक्षण किये जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और इस दौरान प्रदर्शनकारियों तथा पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गयी तथा 25 अन्य जख्मी हो गये थे। आयोग को अधिसूचना जारी होने के दो माह के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है और समयसीमा को बढ़ाने के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी। अधिसूचना में कहा गया कि आयोग के निष्कर्ष सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 29 November 2024 at 10:53 IST