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अपडेटेड 3 July 2025 at 15:21 IST

UP: सपा विधायक सुधाकर सिंह भगोड़ा घोषित, 39 साल पुराने केस में 10 जुलाई को कोर्ट में होगी अहम सुनवाई

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह एक पुराने आपराधिक मामले को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

Reported by: Ankur Shrivastava
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Samajwadi party mla from ghosi Sudhakar singh declared absconding next hearing on 10th July mp mla court
UP: सपा विधायक सुधाकर सिंह भगोड़ा घोषित | Image: X

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह एक पुराने आपराधिक मामले को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें 25 जुलाई 2023 को भगोड़ा घोषित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद वे क्षेत्र में खुलेआम राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय बने हुए हैं, जिससे स्थानीय और राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का माहौल बन गया है।

पूरा मामला वर्ष 1986 का है, जब मऊ के घोसी क्षेत्र स्थित 400 केवी के एक विद्युत उपकेंद्र पर प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। तत्कालीन दोहरीघाट थाना पुलिस ने सुधाकर सिंह और अन्य के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने, तोड़फोड़ करने, और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था।

उस समय मऊ जिला अस्तित्व में नहीं था, इसलिए मुकदमे की सुनवाई आजमगढ़ जिला न्यायालय में चल रही थी। बाद में मऊ के जिला बनने के बाद मामला मऊ की अदालत में स्थानांतरित हो गया। लंबी अदालती प्रक्रिया और अनुपस्थित रहने के चलते कोर्ट ने 25 जुलाई 2023 को सुधाकर सिंह को औपचारिक रूप से फरार घोषित कर दिया।

सुधाकर सिंह ने भी दी फैसले को चुनौती

विधायक सुधाकर सिंह ने इस आदेश को चुनौती देने के लिए 4 जून 2024 को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दाखिल की। अब इस याचिका पर 10 जुलाई 2025 को सुनवाई निर्धारित की गई है, जिसे लेकर प्रशासन और सियासी गलियारों की नजरें अदालत पर टिकी हुई हैं। विधायक के अधिवक्ता वीरेंद्र बहादुर पाल ने कोर्ट में दलील दी कि सुधाकर सिंह को कोर्ट की कार्यवाही की जानकारी नहीं थी और उन्हें कोई समन या वारंट भी तामील नहीं किया गया था। उन्होंने इस आधार पर फरारी का आदेश निरस्त करने की मांग की है।

वहीं सरकारी अधिवक्ता अजय सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विधायक को मामले की पूरी जानकारी थी। उन्होंने अदालत के आदेश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में 2000 रुपये का अर्थदंड भी जमा किया था, जो यह दर्शाता है कि उन्हें मामले की जानकारी थी और वे अदालत की कार्यवाही से अवगत थे।

भगोड़ा घोषित होने के बाद भी लड़ा चुनाव

सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसे कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया है, वह कैसे चुनाव लड़कर विधायक बन सकता है और क्षेत्र में खुलेआम राजनीति कर सकता है? सुधाकर सिंह की सक्रियता ने कानून के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब जबकि 10 जुलाई को निगरानी याचिका पर सुनवाई होनी है, यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है? क्या सुधाकर सिंह को राहत मिलती है या उनके खिलाफ कोई सख्त कदम उठाया जाता है?

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पब्लिश्ड 3 July 2025 at 15:21 IST