अपडेटेड 12 April 2025 at 00:06 IST

लठ लेकर उतरेंगे 3 लाख राजपूत! आगरा कूच कर रहे राणा सांगा के 'वंशज', आगरा पुलिस ने अपग्रेड किया लाठी और आंसू गैस के स्टॉक

महाराणा सांगा की जयंती के उपलक्ष्य में करणी सेना ने आगरा में 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' मनाने का संकल्प लिया है। जनसभा में 3 लाख क्षत्रियों के जुटने की संभावना है

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Rana Sanga Controversy : राजपूताना के गौरव और खानवा में बाबर को ललकारने वाले महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) पर दिए बयान को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। भरे संसद में विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन पर लेकर राजपूतों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है। राणा सांगा के अपमान को लेकर करणी सेना ने 12 अप्रैल को आगरा में क्षत्रियों की ताकत दिखाने की पूरी पक्की तैयारी कर ली है।

महाराणा सांगा की जयंती के उपलक्ष्य में करणी सेना ने आगरा में 'रक्त स्वाभिमान सम्मेलन' मनाने का संकल्प लिया है। दावा है कि इस कार्यक्रम में देश भर से 3 लाख से अधिक राजपूत जुटेंगे। वहीं करणी सेना को रोकने के लिए आगरा पुलिस ने भी बड़ी तैयारी की है। पुलिस ने आंसू गैस, लाठी-डंडे और हेलमेट का स्टॉक अपडेट कर लिया है। गुरुवार को आगरा पुलिस ने मॉक ड्रिल की और आंसू गैस के साथ-साथ लाठी डंडे चलाने का रिहर्सल किया। पुलिस के अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था से खिलवाड़ मंजूर नहीं होगा।

क्षत्रियों की क्या है तैयारी?

12 अप्रैल को राणा सांगा की जंयती है। राजपूत समाज राणा सांगा के अपमान को लेकर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है। जनसभा में 3 लाख क्षत्रियों के जुटने की संभावना है, जिसमें 1 लाख करणी सेना के कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे। हर कार्यकर्ता से एक डंडा और झंडा लाने को कहा गया है। राजस्थान और गुजरात समेत कई राज्यों के क्षत्रियों ने पहले से डेरा डाला हुआ है। करणी सेना के अध्यक्ष राज शेखावत खुद आगरा में मौजूद हैं।

ये कार्यक्रम आगरा के रामीगढ़ी इलाके में होने जा रहा है। यहां क्षत्रियों के 22 गांव हैं जिन्हें बाइसी कहा जाता है। इन 22 गांव में करीब 2 लाख क्षत्रिय आबादी है। ऐसे में करणी सेना को क्षत्रिय समाज का सहयोग मिल रहा है। करणी सेना ने रामजीलाल सुमन को राज्यसभा से बर्खास्त करने की मांग की है। करणी सेना ने सरकार को शुक्रवार को शाम 5 बजे तक का वक्त दिया है। मांगे ना माने जाने पर करणी सेना ने चेतावनी दी है कि सांसद रामजीलाल सुमन के घर कूच करेंगे। 

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प्रशासन की क्या है तैयारी?

स्थिति को भांपते हुए करणी सेना के खिलाफ प्रशासन ने 3 लेयर का सुरक्षा प्लान तैयार किया है। 4 जिलों की करीब 10 हजार की फोर्स तैनात होगी। 5 हजार से ज्यादा डंडे और हेलमेट मंगाए गए और 800 से अधिक बैरियर लगाए गए हैं। आगरा की सड़कों पर करणी सेना को रोकने के लिए मॉक ड्रिल और फ्लैग मार्च किया गया है। पुलिसकर्मियों को आंसू गैस के गोले छोड़ने का अभ्यास कराया गया है। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है।

सपा सांसद रामजीलाल सुमन के घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उनके घर को जाने वाले रास्तों पर बैरियर लगाए गए, बाहर से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है। पीएसी के साथ-साथ पर्सनल सिक्योरिटी भी तैनात है।

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राणा सांगा कौन थे?

राणा सांगा मेवाड़ के महान योद्धा और महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप के दादा थे। 1508 में 27 साल की उम्र में मेवाड़ के शासक बने और 100 से अधिक युद्ध में जीत का परचम लहराया। खानवा के अलावा किसी भी युद्ध में उनकी हार नहीं हुई। 100 से अधिक युद्ध लड़ने की वजह से उनसे शरीर पर 80 से अधिक घाव थे। एक आंख और एक हाथ नहीं होने के बावजूद वो बेहद बहादुर थे और दुश्मन उनके युद्ध कौशल से डरते थे। राणा सांगा का एक पैर भी काम नहीं करता था।

1527 में राणा सांगा का पहली बार बाबर से सामना हुआ। बयाना में हुए इस युद्ध में राणा ने बाबर को बुरी हाराया था। बाबरनामा में इस युद्ध का जिक्र मिलता है। हार के बाद बाबर आगरा लौट गया था। कुछ दिन बाद 7 मार्च, 1527 को खानवा में फिर बाबर और राणा में जंग हुई। इस युद्ध में बाबर तोप और बंदूकों से लड़ा और युद्ध नियमों का भी जमकर उल्लंघन हुआ। राजपूत सेना तलवारों से लड़ रही थी और युद्ध नियमों का मरते दम कर पालन करती थी। युद्ध के बीच हाथी पर बैठे राणा सांगा तीर लगने से बेहोश हो गए, सेना को लगा की राणा की मौत हो गई। ये देख सैनिक युद्ध से वापस जाने लगे। इसके बाद जीता हुआ युद्ध राणा सांगा हार गए थे। जहर दिए जाने से राणा सांगा की 1528 में मौत हो गई।

राणा सांगा की बहादुरी आज भी राजस्थान की लोककथाओं, गीतों, और इतिहास में जीवित है। वे मेवाड़ के गौरव और स्वतंत्रता की भावना के प्रतीक हैं। उनकी वीरता ने न केवल समकालीन शासकों को प्रभावित किया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम की। चित्तौड़गढ़ का किला, जिसकी रक्षा उन्होंने की आज भी उनकी साहसिक कहानियों का साक्षी है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 12 April 2025 at 00:06 IST