अपडेटेड 6 April 2025 at 14:31 IST

BIG BREAKING: रामनवमी पर संभल में जामा मस्‍जिद के पास बनी सत्यव्रत पुलिस चौकी का हुआ उद्घाटन, दीवारों पर लिखा गीता का श्‍लोक

रामनवमी पर संभल में जामा मस्‍जिद के पास बनी सत्यव्रत पुलिस चौकी का हुआ उद्घाटन, दीवारों पर लिखा गीता का श्‍लोक

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Satyavrat police post near Jama Masjid in Sambhal inaugurated,
रामनवमी पर संभल में जामा मस्‍जिद के पास बनी सत्यव्रत पुलिस चौकी का हुआ उद्घाटन | Image: X

संभल में रामनवमी पर जहां एक तरफ खग्गू सराय स्थित मंदिर पर 46 वर्ष बाद पहली बार पूजा अर्चना की गई है। वहीं दूसरी ओर जामा मस्जिद के सामने (जहां दंगा हुआ था) निर्माण हुई सत्यव्रत पुलिस चौकी का लोकार्पण भी किया गया है। डीएम और एसपी ने पूजा पाठ के बाद चौकी का उद्घाटन किया। उद्घाटन के दौरान डीएम और एसपी ने एक छोटी बच्ची से लाल फीता कटवाया फिर सब चौकी के अंदर गए।  यह पुलिस चौकी संभल सदर कोतवाली पुलिस थाने के अंतर्गत कार्य करेगी।

बीते साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान संभल में बवाल हुआ था। इसके बाद से यहां हालात तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने लगातार कार्रवाई कर अपराधियों के हौसले पस्त कर दिए हैं, लेकिन मस्जिद के सामने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस चौकी बनाई गई है। इससे संवेदनशील इलाकों में पुलिसकर्मी कम समय में पहुंचे सकेंगे। इस पुलिस चौकी को सुरक्षा बढ़ाने के लिहाज से तैयार कराया गया है। दो मंजिला इस इमारत में कई कक्ष बनाए गए हैं। जिससे पर्याप्त फोर्स के ठहरने की व्यवस्था भी रहे। भवन को सुसज्जित और हाईटेक बनाया जा रहा है।

महाभारत का रथ और गीता का श्‍लोक

जिले का कंट्रोल रूम भी इसी चौकी में बनेगा। पुलिस चौकी में महाभारत के रथ की आकृति मुख्य गेट के सामने तैयार कराई गई है। यह आकृति राजस्थानी पत्थर से तैयार हुई है और राजस्थान के कारीगर ने इसको संवारा है। इस आकृति में गीता के चौथे अध्याय से लिया गया भगवान श्री कृष्ण का प्रसिद्ध श्लोक भी लिखा गया है। सत्यव्रत पुलिस चौकी में गीता के चौथे अध्याय से लिया गया श्लोक लिखा है। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने अवतार लेने के उद्देश्य और कारण अर्जुन को बताते हैं।

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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्गवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।।

इसका अर्थ है- जब-जब धर्म की हानि होती है, हे भारत, और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने रूप को प्रकट करता हूं। साधुओं के उद्धार और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए, तथा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए, मैं हर युग में प्रकट होता हूं।

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 6 April 2025 at 13:50 IST