अपडेटेड 20 January 2025 at 11:06 IST
Mahakumbh: जूना अखाड़ा की 100 से अधिक महिला नागा साधुओं को दी गई दीक्षा, पार की कठिन पंच संस्कारों की परीक्षा
12 वर्षों की सेवा और उनके गुरु के प्रति के समर्पण को देखने के बाद इन महिलाओं को अवधूतनी बनाया गया। उनका समूह गंगा के तट पर पहुंचा जहां उनका मुंडन कराया गया।
- भारत
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सनातन धर्म की रक्षा के लिए नारी शक्ति भी किसी तरह से पीछे नहीं है। रविवार को 100 से अधिक महिलाओं को जूना अखाड़ा में नागा दीक्षा दी गई जिसमें तीन विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं। जूना अखाड़ा की महिला संत दिव्या गिरि ने बताया कि रविवार को उनके अखाड़े में 100 से अधिक महिलाओं को नागा संन्यासिन के तौर पर दीक्षा दी गई। इस दीक्षा के लिए पंजीकरण जारी है और प्रथम चरण में 102 महिलाओं को नागा दीक्षा दी गई।
उन्होंने बताया कि 12 वर्षों की सेवा और उनके गुरु के प्रति के समर्पण को देखने के बाद इन महिलाओं को अवधूतनी बनाया गया। अवधूतनी का समूह गंगा के तट पर पहुंचा जहां उनका मुंडन कराया गया। गंगा स्नान के बाद उन्हें कमंडल, गंगा जल और दंड दिया गया। अंतिम दीक्षा आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि द्वारा दी जाएगी।
जूना अखाड़ा की सदस्य बनी 100 महिला नागा संन्यासिनी
महाकुंभ में विदेशी महिलाओं ने भी नागा संन्यासी दीक्षा में हिस्सा लिया और अब वे जूना अखाड़ा की सदस्य हैं। तीन विदेशी महिलाओं को नागा संन्यासिन के तौर पर दीक्षा दी गई। इनमें इटली से बांकिया मरियम को शिवानी भारती, फ्रांस की वेक्वेन मैरी को कामाख्या गिरि और नेपाल की मोक्षिता रानी को मोक्षिता गिरी नाम दिया गया।
महिला नागा साधु बनने के लिए देनी होती है कठिन परीक्षा
महिला नागा साधु बनने के लिए महिला संन्यासिनियों को काफी कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। सांसारिक मोहमाया त्यागकर उनको एक अलग जीवन जीना होता है। महिला नागा साधुओं की दुनिया काफी रहस्यमयी होती है, हर कोई इनके बारे में जानना चाहता है लेकिन ये आम लोगों से अलग हटकर संन्यासियों का जीवन व्यतीत करती हैं। महाकुंभ में जैसे नागा साधु कठोर तपस्या और साधना करते हैं उसी प्रकार महिला नागा साधुओं को भी कई कठिन नियमों का पालन करना होता है। काफी कड़ी परीक्षाओं से गुजरने के बाद ही महिला नागा साधुओं का नागा साधु बनने का संकल्प पूरा होता है।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 20 January 2025 at 11:06 IST