अपडेटेड 7 July 2025 at 19:29 IST

बंगला, लग्जरी गाड़ियों का शौकीन... सड़कों पर अंगूठी बेचने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा कैसे बन गया 100 करोड़ का मालिक?

यह मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि जब धर्म, आस्था और जनसेवा के नाम पर धोखे और अपराध छिपे होते हैं, तो उसकी कीमत केवल कानून नहीं, बल्कि समाज भी चुकाता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या ईडी की जांच इस छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन के काले धन के नेटवर्क की पूरी परतें खोल पाएगी या यह भी बाकी धर्मांतरण कड़ियों की तरह सिस्टम में दबकर रह जाएगा।

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बंगला, लग्जरी गाड़ियों का शौकीन... सड़कों पर अंगूठी बेचने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा कैसे बन गया 100 करोड़ का मालिक? | Image: X- @jpsin1

Jalaluddin Changur Baba Profile: उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार केंद्र में है खुद को संत बताने वाला छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन जिसकी सच्चाई सामने आते ही पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है। कुछ ही समय पहले, एटीएस ने जलालुद्दीन को अवैध धर्मांतरण रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। शुरुआती जांच के दौरान जो बातें सामने आई थीं, वे जितनी चौंकाने वाली थीं, उतनी ही अब वित्तीय लेन-देन की जांच में और भी गंभीर होती जा रही हैं। अब एटीएस की विस्तृत रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जलालुद्दीन किसी मामूली ठग या धार्मिक नेता की आड़ में चल रहे संगठन का चेहरा नहीं था बल्कि वह 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लेन-देन का मालिक निकला।

जांच एजेंसी ने अपनी कार्रवाई में पाया कि जलालुद्दीन और उससे जुड़ी संस्थाओं के बैंक खातों में भारी मात्रा में पैसा देश के अलग-अलग हिस्सों से ट्रांसफर किया गया। इन खातों में धर्मार्थ कामकाज की आड़ में विदेशी फंडिंग और संदिग्ध स्रोतों से पैसा आया है। एटीएस ने इन तथ्यों को एक विस्तृत रिपोर्ट में समेटकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दिया है। अब संभावना है कि इस पूरे मामले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी शुरू हो सकती है। यदि यह साबित होता है कि यह पैसा धर्मांतरण, जमीन खरीद, या किसी संगठित नेटवर्क के संचालन में इस्तेमाल हुआ है, तो जलालुद्दीन और उसके सहयोगियों पर PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

अंगूठियां बेचने से करोड़ों के मालिक बनने तक का सफर

उत्तर प्रदेश के मधपुर गांव में रहने वाला एक सामान्य सा व्यक्ति, जो कभी नग और अंगूठियां बेचकर अपना गुज़ारा करता था, अचानक कुछ ही सालों में छांगुर बाबा के नाम से एक कथित संत बन बैठा और फिर बना अवैध धर्मांतरण रैकेट का सरगना। यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए इस बाबा की असलियत जब सामने आई, तो सब हैरान रह गए। जांच में खुलासा हुआ कि पिछले 5-6 वर्षों में छांगुर बाबा ने आलीशान कोठी, लग्जरी गाड़ियां, और कई फर्जी संस्थाएं खड़ी कर लीं। यही नहीं, उसकी मधपुर गांव की कोठी इस पूरे नेटवर्क का मुख्य संचालन केंद्र थी, जहां से धर्मांतरण की गतिविधियां, फंडिंग और संगठन के विस्तार की रणनीतियां बनाई जाती थीं।


एटीएस ने ईडी को सौंपी जलालुद्दीन की रिपोर्ट

अब एटीएस ने इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को सौंप दी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि छांगुर बाबा और उससे जुड़ी संस्थाओं के खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध लेन-देन हुआ है। पैसा किस स्रोत से आया, कहां खर्च हुआ, इसकी पूरी जानकारी अब मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के तहत जांच के दायरे में आ गई है। यह साफ होता जा रहा है कि छांगुर बाबा कोई अकेला धूर्त नहीं, बल्कि धार्मिक आड़ में काम करने वाले संगठित नेटवर्क का सिरा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद अब फर्जी संस्थाओं और सहयोगियों की जांच भी तेज हो गई है। छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन ने मधपुर में आलीशान कोठी बनाने के बाद, उसी परिसर में एक डिग्री कॉलेज खोलने का प्लान बनाया था। इसके लिए उसने बड़े-बड़े कमरों का निर्माण भी शुरू कर दिया था।  फिलहाल उसकी काली करतूतें सामने आने के बाद उसकी गिरफ्तारी हो गई और जांच के चलते अब ये योजनाएं ठप हो गईं हैं। 

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जलालुद्दीन 40-50 बार कर चुका था इस्लामिक देशों की यात्रा

ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने प्रेस को जानकारी दी कि जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने अब तक 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की है, जो उसकी गतिविधियों को लेकर गंभीर संदेह पैदा करता है। जांच एजेंसियों को शक है कि इन यात्राओं के दौरान उसने धार्मिक उद्देश्यों की आड़ में संदिग्ध संपर्क बनाए और फंडिंग के ज़रिए भारत में एक अवैध नेटवर्क तैयार किया। जांच में यह भी सामने आया है कि जलालुद्दीन बाबा ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में कई संपत्तियों की खरीद की है। माना जा रहा है कि यह संपत्तियां नेटवर्क संचालन और संदिग्ध गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस्तेमाल की जा रही थीं। अब तक इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, और यूपी एटीएस तथा एसटीएफ इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। शुरुआती जांच से यह संकेत मिले हैं कि इस नेटवर्क की पहुंच पूरे भारत में फैली हुई है, और इसका संचालन संभवतः विदेशी फंडिंग, विशेषकर खाड़ी देशों से आने वाली रकम, के ज़रिए हो रहा था। ADGP यश ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी फंडिंग, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और अवैध धर्मांतरण जैसे कई पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।

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Published By : Ravindra Singh

पब्लिश्ड 7 July 2025 at 19:25 IST