अपडेटेड 16 July 2025 at 11:43 IST
'गजवा-ए-हिंद' मिशन पर था जलालुद्दीन उर्फ छांगुर, हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के बाद निकाह करवा 'काली डायरी' में लिखता था नाम
छांगुर बाबा का मामला न केवल अवैध धर्मांतरण का एक गंभीर उदाहरण है, बल्कि यह विदेशी फंडिंग और राष्ट्रविरोधी साजिशों का भी खुलासा करता है। छांगुर का मकसद केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके पीछे 'गजवा-ए-हिंद' जैसी खतरनाक विचारधारा थी।
- भारत
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Changur Baba News : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में अवैध धर्मांतरण नेटवर्क के सरगना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस संगठित रैकेट के तार विदेशी फंडिंग और गंभीर साजिशों से जुड़े हैं। छांगुर बाबा के काले साम्राज्य की सच्चाई को देख हर को हैरान है। जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर बाबा का मकसद केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके पीछे 'गजवा-ए-हिंद' की विचारधारा थी।
'गजवा-ए-हिंद' एक ऐसी विचारधारा है, जो ऐसे समाज की स्थापना की बात करती है जहां केवल एक धर्म का वर्चस्व हो। छांगुर ने अपने सहयोगियों, नीतू रोहरा उर्फ नसरीन और नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन के साथ मिलकर इस मिशन को अंजाम देना शुरू किया। यह नेटवर्क गरीब, कमजोर और सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को निशाना बनाता था, जिन्हें अंधविश्वास, धन, नौकरी या शादी का लालच देकर फंसाया जाता था।
'गजवा-ए-हिंद' मिशन पर था जलालुद्दीन
ATS सूत्रों के मुताबिक जलालुद्दीन ने नसरीन और नवीन के साथ आने के बाद अंधविश्वास की अफीम के जरिए इस मिशन की शुरुआत हुई। छांगुर बाबा अंधविश्वास को हथियार बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था। वह कमजोर मानसिकता वाले लोगों को निशाना बनाकर उन्हें उनके परिवार और समाज से अलग-थलग करने की रणनीति अपनाता था। पैसे, नौकरी या खुशहाल जीवन का लालच देकर और कभी-कभी जबरदस्ती के जरिए, वह लोगों का ब्रेनवॉश करता था। इसके लिए वह हिंदू धर्म की मान्यताओं को पाखंड बताकर इस्लाम की तारीफ करता था।
धर्मांतरण के बाद निकाह और काली डायरी
जांच में यह भी सामने आया कि वह अपनी कोठी में गाय का मांस खिलाकर इसका वीडियो बनाता और उसे पेन ड्राइव में सुरक्षित रखता था, ताकि पीड़ितों को डराया-धमकाया जा सके। वो एक नए जहान की तलाश में था, जिस जहान में सिर्फ इस्लाम ही इस्लाम हो।
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छांगुर बाबा जिन लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराने में कामयाब हो जाता था। उनका नाम वो अपनी 'काली डायरी' में दर्ज करता था। इसके बाद, इन लड़कियों का निकाह अपने किसी मुस्लिम जानने वाले से करवाया जाता था। यह एक सुनियोजित रणनीति थी, जिसके तहत वह सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास करता था।
विदेशी फंडिंग और साम्राज्य
उसे दुबई से संचालन का दिशा-निर्देश और मोटी फंडिंग मिलती थी। जांच में खुलासा हुआ कि छांगुर बाबा को विदेशों, खासकर खाड़ी देशों से भारी मात्रा में फंडिंग मिल रही थी। सूत्रों के अनुसार, करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उसके 40 से ज्यादा बैंक खातों में जमा हुई। इस पैसे का इस्तेमाल वह धर्मांतरण, संपत्ति खरीदने और अपने नेटवर्क को मजबूत करने में करता था।
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उसने बलरामपुर के मधपुर गांव में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से एक आलीशान कोठी बनवाई थी, जिसकी कीमत करीब 12 करोड़ रुपये बताई जाती है। इसके अलावा, उसने अलग-अलग नामों से 20 से अधिक संपत्तियों में निवेश किया था। वह इस्लामिक स्कूल खोलने की योजना भी बना रहा था, ताकि काले धन को वैध दिखाया जा सके।
नेटवर्क का दायरा और स्थानीय पैठ
छांगुर बाबा का नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था। वह सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखता था, ताकि उसकी गतिविधियां गुप्त रहें। इसके साथ ही, उसने स्थानीय अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों में अपनी पैठ बनाई थी, जिससे उसे संरक्षण मिलता रहा। जांच में यह भी सामने आया कि उसके नेटवर्क में कई रसूखदार लोग, डॉक्टर और अन्य पेशेवर शामिल थे, जो इस अवैध गतिविधि को बढ़ावा दे रहे थे।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 16 July 2025 at 11:43 IST