अपडेटेड 23 July 2025 at 20:41 IST
लंदन से MBA, आर्म्स डीलर से कनेक्शन और सैटेलाइट फोन... गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने वाला हर्षवर्धन कैसे बना जालसाज, पूरी क्राइम कुंडली
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में STF ने एक चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। एटीएस ने हर्षवर्धन जैन नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया, जो वर्षों से खुद को काल्पनिक देशों का राजदूत बताकर एक नकली 'दूतावास' चला रहा था।
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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में STF ने एक चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। एटीएस ने हर्षवर्धन जैन नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया, जो वर्षों से खुद को काल्पनिक देशों का राजदूत बताकर एक नकली 'दूतावास' चला रहा था। हर्षवर्धन ने कविनगर इलाके में एक आलीशान कोठी किराए पर लेकर उसमें “West Arctica Embassy” के नाम से दूतावास खोल रखा था।
उसके पास लग्जरी गाड़ियां थीं, जिनमें डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी हुई थीं। वह West Arctica, Saborga, Poulvia और Lodonia जैसे काल्पनिक माइक्रो-नेशंस का राजदूत होने का दावा करता था। एटीएस ने उसके पास से विभिन्न देशों के झंडे, नकली पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय के फर्जी दस्तावेज और डिप्लोमैटिक पहचान दिखाने वाले प्रतीक चिन्ह बरामद किए हैं।
इंटरनेशनल हथियार तस्कर से भी संबंध
वर्ष 2011 में हर्षवर्धन के खिलाफ कविनगर थाने में अवैध सैटेलाइट फोन रखने की FIR दर्ज की गई थी। उसकी संलिप्तता विवादित आध्यात्मिक गुरु चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्कर अदनान खगोशी से भी बताई जा रही है। वह विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से दलाली करता था और फर्जी दस्तावेज बनवाने में माहिर था।
हवाला ट्रांजेक्शन का भी कनेक्शन
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यूपी एसटीएफ के मुताबिक, हर्षवर्धन शेल कंपनियों के माध्यम से हवाला ट्रांजेक्शन करता था। अब इस बात की भी जांच की जा रही है कि हर्षवर्धन का किन-किन लोगों से आर्थिक लेन-देन हुआ। कितनी कंपनियों को इसके जरिए विदेशों में कॉन्टैक्ट का लालच दिया गया। साथ ही हवाला से जुड़े किन नेटवर्क से वह जुड़ा था।
हर्षवर्धन ने लंदन से की MBA की पढ़ाई
शातिर आरोपी हर्षवर्धन ने लंदन के 'कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस' से MBA की डिग्री ली। इसके साथ ही उसने गाजियाबाद के ITS कॉलेज से भी MBA किया था। हर्षवर्धन का पारिवारिक बैकग्राउंड काफी प्रभावशाली था। उसके पिता कभी बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते थे और राजस्थान में मार्बल की माइंस के मालिक थे।
सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन हर्षवर्धन के पिता की मौत के बाद बिजनेस में काफी नुकसान हुआ। इसी दौरान हर्षवर्धन की मुलाकात गाजियाबाद में ही चंद्रास्वामी से हुई। चंद्रास्वामी ने हर्षवर्धन को लंदन भेजा, जहां हर्षवर्धन ने कई कंपनियां शुरू कीं। जांच एजेंसियों के मुताबिक इन कंपनियों के जरिए चंद्रास्वामी ने ब्लैक मनी छुपाने के लिए हर्षवर्धन से कंपनियां खुलवाई थीं।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 23 July 2025 at 20:41 IST