अपडेटेड 30 April 2025 at 21:03 IST

जातिगत जनगणना के फैसले को CM योगी ने बताया ऐतिहासिक, 140 करोड़ देशवासियों के हित में बताया कदम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों को शामिल किए जाने के फैसले का स्वागत किया है।

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CM Yogi Adityanath
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ | Image: PTI

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों को शामिल किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे 140 करोड़ देशवासियों के समग्र हित में एक निर्णायक और अभूतपूर्व कदम बताया। सीएम योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यह फैसला वंचित, पिछड़े और उपेक्षित वर्गों को उचित भागीदारी दिलाने की दिशा में सामाजिक न्याय और डेटा-आधारित सुशासन की ओर बड़ा कदम है।

दरअसल, देश में जाति जनगणना करना को लेकर केंद्र सरकार ने बहुत ही बड़ा फैसला लिया है, CCPA की बैठक के फैसले के मुताबिक ये जातीय जनगणना अगली होने वाली जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। खास बात ये रही की केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार के इस निर्णय को जनता के सामने रखा। यकीनन ये हैरान कर देने वाली बात है कि आखिरकार सरकार जाति जनगणना कराने के लिए तैयार हो ही गई वो भी तब जब भारत और पाकिस्तान के तनाव बढ़ा हुआ है। बता दें विपक्षी पार्टियां हमेशा से जाति जनगणना की मांग करती आईं हैं।

भारत में आखिरी जनगणना कब हुई थी

भारत में आखिरी बार जनगणना साल 2011 में हुई थी। यह आजाद भारत की 7वीं जनगणना थी  बता दें अबतक कुल मिलाकर देश की 15वीं जनगणना मानी जाती है। 2011 की जनगणना 2 चरणों में हुई थी। इसमें भारत की कुल आबादी 121 करोड़ से ज्यादा दर्ज की गई थी। इस जनगणना में पुरुषों की संख्या करीब 62.3 करोड़ और महिलाओं की संख्या 58.7 करोड़ रही। जनसंख्या वृद्धि दर 17.64% और साक्षरता दर 74.04% दर्ज की गई।

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कोविड-19 की वजह से 2021 में नहीं हुई जनगणना

वहीं 2021 की जनगणना को पहले कोविड-19 महामारी की वजह से टाल दिया गया, लेकिन प्रशासनिक और राजनीतिक कारणों ये जनगणना बहुत खास मानी जा रही थी, क्योंकि यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना होने वाली थी, जिसमें मोबाइल ऐप और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिए डेटा लेने का लक्ष्य रखा गया था। जनगणना के साथ-साथ सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को भी अपडेट करना चाहती थी, जिस पर कुछ राज्यों ने आपत्ति जताई थी। इसी वजह से यह प्रक्रिया और जटिल हो गई।

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अभी कितनी है भारत की जनसंख्या ? 

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और एनपीआर को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस और विरोध भी हुए, जिससे जनगणना की प्रक्रिया पर असर पड़ा। हालांकि, IIPS (International Institute for Population Sciences) के मुताबिक फिलहाल भारत की जन संख्या 1451840239 (एक अरब पैंतालीस करोड़ अठारह लाख चालीस हजार दो सौ उनतालीस) है।

भारत में आखिरी बार जाति जनगणना कब हुई थी? 

भारत में वैसे तो ऑफिशियली आखिरी बार जाति आधारित जनगणना 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान कराई गई थी। यह वही जनगणना थी जिसमें पहली और आखिरी बार सभी जातियों के विस्तृत आंकड़े एकत्र किए गए थे। इसके बाद देश में 1931 में जो जाति जनगणना हुई उसके हिसाब से 4,147 जाति सामने आई। उसके बाद 1941 में भी फिर से जातिगत जनगणना हुई लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के कारण वह अधूरी ही रह गई।

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जिसके बाद स्वतंत्र भारत में 1951 से सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की ही गणना होती रही है। उस समय नीति बनाई गई कि सामान्य वर्ग और पिछड़ी जातियों की गिनती नहीं की जाएगी, जिससे जातिगत आंकड़े सीमित हो गए। हालांकि, 2011 में एक सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) कराई गई थी। लेकिन इसमें एकत्र किए गए जातिगत आंकड़े सरकार ने सार्वजनिक नहीं किए, क्योंकि इसमें लगभग 46 लाख जातियों के अलग-अलग नामों में अंतर के कारण डेटा को सत्यापित करना चुनौतीपूर्ण बन गया था।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 30 April 2025 at 21:03 IST