अपडेटेड 16 August 2024 at 21:41 IST
BREAKING: UP में टीचरों की नौकरी पर संकट, 69000 शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द करने का HC का आदेश
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है।
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Allahabad High Court Canceled 69 Thousand Teacher Recruitment: उत्तर प्रदेश में साल 2019 में आई 69,000 शिक्षकों की भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने इस भर्ती को पूरी तरह रद्द करने के आदेश दे दिए हैं और नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने के आदेश दे दिए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग को अब अगले 3 महीनो में 69,000 शिक्षकों की भर्ती का परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। इस भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों ने सवाल उठाते हुए 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाया था।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बीते 4 सालों से नौकर कर रहे हजारों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। हाईकोर्ट की बेंच ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को आरक्षण की नियमावली 1994 की धारा 3(6) के अलावा बेसिक शिक्षा की नियमावली 1981 को पालन करने का आदेश दिया है। काफी लंबे समय से यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती को लेकर चल रही अनियमितता का मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग पड़ा था। हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की मौजूदा लिस्ट को सही नहीं माना और पूरी तरह से इस मेरिट सूची को रद्द कर दिया। इसके अलावा हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से आगामी 3 महीनों के भीतर ही नई लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया है।
सहायक शिक्षकों की भर्ती में 4 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षा
अखिलेश यादव की सरकार में दरअसल 1.72 लाख शिक्षामित्र को भी सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सहायक शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सबसे पहले 68,500 सहायक शिक्षकों का रिक्रूटमेंट किया। इस रिक्रूटमेंट पर भी सवाल उठाए गए और CBI ने इस मामले की जांच की। इसके बाद यूपी की योगी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69 हजार पदों पर शिक्षकों की भर्ती निकाली। अगले महीने जनवरी 2019 में इस रिक्रूटमेंट का टेस्ट हुआ, जिसमें 4 लाख से भी अधिक परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया।
आरक्षण को लेकर भर्ती में घोटाले का दावा किया गया
इस परीक्षा के बाद लगभग एक लाख चालीस हजार परीक्षार्थी सफल हुए लेकिन कम पद होने की वजह से मेरिट लिस्ट बनी। इस मेरिट लिस्ट के बाद ही हंगामा शुरू हो गया क्योंकि जिन अभ्यर्थियों को पूरा भरोसा था वो इस लिस्ट में आ जाएंगे वो नहीं आ पाए। इसके बाद अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती के आंकड़े निकालने शुरू किए और 4 महीने के अथक परिश्रम के बाद अभ्यर्थियों ने 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाया। कैंडिडेट्स का आरोप था कि ओबीसी कैटेगिरी के अभ्यर्थियों को 27 प्रतिशत की जगह लगभग 4 फीसदी का आरक्षण मिला जबकि अनुसूचित जाति (SC) कैटेगिरी को 21 प्रतिशत की जगह महज 16 प्रतिशत आरक्षण मिला। सरकार ने किसी भी तरह के घोटाले से मना कर दिया था।
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शिक्षक परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी पहुंचे हाईकोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार के रवैये से नाराज अभ्यर्थियों ने परीक्षा परिणाम के बाद कई दिनों तक सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बावजूद जब सरकार ने इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे। यहां सिंगल बेंच ने भी इस बात को स्वीकार किया कि आरक्षण घोटाला हुआ है। इसके लिए नए सिरे से मेरिट जारी होनी चाहिए। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को फाइलों में ही दबा दिया और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने माना कि 6800 पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ। इसके लिए फिर से मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद भी अभ्यर्थियों की नाराजगी कम नहीं हुई। उन्होंने कहा कि घोटाला 19 हजार पदों पर हुआ है वो एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गए। इस बार उन्होंने डबल बेंच में अपील की। यहां भी अभ्यर्थियों को सफलता मिली और डबल बेंच ने माना कि आरक्षण घोटाला हुआ है।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 16 August 2024 at 21:04 IST