अपडेटेड 19 July 2024 at 11:35 IST

CM योगी का बड़ा फैसला, पूरे यूपी में कांवड़ मार्गों पर खाने की दुकानों में नेमप्लेट जरूरी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। अब सिर्फ मुजफ्फनगर नहीं, पूरे प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर दुकानों पर 'नेमप्लेट' लगानी होगी।

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UP CM Yogi Adityanath
UP CM Yogi Adityanath | Image: File

UP Kanwar Yatra Route Nameplate: कांवड़ रूट पर दुकानों पर नेमप्लेट को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश पर विवाद के बीच अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। अब सिर्फ मुजफ्फनगर नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर 'नेमप्लेट'  लगानी होगी। मुख्यमंत्री योगी ने खुद कांवड़ यात्रियों के लिए ये कदम उठाया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखित आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन निर्देश दिए हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान रास्तों पर लगने वाली दुकानों पर नेमप्लेट लगानी होगी। निर्देश में कहा गया है कि दुकानों पर संचालक मालिक का नाम और पहचान लिखनी होगी। बताया जा रहा है कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए फैसला लिया गया है। निर्देश ये भी दिए गए हैं कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने भी जारी किया था आदेश

शुरुआत में मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था। इसमें लिखा गया- 'श्रावण कांवड़ यात्रा के दौरान पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़िये पश्चिमी उत्तर प्रदेश होते हुए हरिद्वार से जल लेकर मुजफ्फरनगर जिले से गुजरते हैं। श्रावण के पवित्र महीने में कई लोग, खासकर कांवड़िये अपने खाने में कुछ चीजों से परहेज करते हैं। पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर सभी तरह के खाने बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखे हैं, जिससे कांवड़ियों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए कांवड़ मार्ग पर खाद्य पदार्थ बेचने वाले होटलों, ढाबों और दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करें। इस आदेश का उद्देश्य किसी भी प्रकार का धार्मिक भेदभाव पैदा करना नहीं है, बल्कि मुजफ्फरनगर जिले से गुजरने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा, आरोपों का जवाब देना और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बचाना है। ये व्यवस्था पहले भी प्रचलित रही है।'

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दुकानों पर नेमप्लेट को लेकर विवाद

दुकानों पर नेमप्लेट को लेकर विवाद भी खड़ा है। विपक्षी दल इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश के बाद AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन बताया। वो कहते हैं- 'उत्तर प्रदेश सरकार छुआछूत को बढ़ावा दे रही है। लोगों को अपना धर्म व्यक्त करने का इस तरह का आदेश अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (आजीविका का अधिकार) का भी उल्लंघन है। दूसरी बात जब से उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दिया है, मुजफ्फरनगर के सभी ढाबों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया है। उस हाईवे पर कई बड़े और मशहूर रेस्टोरेंट हैं, आप उनके बारे में कुछ क्यों नहीं कह रहे हैं?'

कांग्रेस कहती है कि 'एक गरीब रेहड़ी वाले को आदेश है कि वो अपने नाम की तख्ती लगाकर ही सामान बेच सकता है। ऐसा इसलिए कांवड़ियां किसी मुस्लिम से फल खरीदकर ना खा ले या किसी मुस्लिम के होटल और ढाबे पर खाना ना खा ले।' सुप्रिया श्रीनेत कहती हैं कि आदेश को साजिश बता रही हैं और इसे मुसलमान के आर्थिक बहिष्कार से जोड़ रही हैं।

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अखिलेश यादव कहते हैं- 'मुजफ्फरनगर पुलिस ने जनता के भाईचारे और विपक्ष के दबाव में आकर आखिरकार होटल, फल, ठेलोंवालों को अपना नाम लिखकर प्रदर्शित करने के प्रशासनिक आदेश को स्वैच्छिक बनाकर जो अपनी पीठ थपथपायी है, उतने से ही अमन-औ-चैन पसंद करनेवाली जनता माननेवाली नहीं है। ऐसे आदेश पूरी तरह से खारिज होने चाहिए। माननीय न्यायालय सकारात्मक हस्तक्षेप करते हुए शासन के माध्यम से ये सुनिश्चित करवाए कि भविष्य में ऐसा कोई भी विभाजनकारी काम शासन-प्रशासन नहीं करेगा। ये प्रेम और सौहार्द से उपजी एकता की जीत है।'

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 19 July 2024 at 11:02 IST