अपडेटेड 26 November 2025 at 19:42 IST

जिस दुर्लभ खनिज के लिए चीन ने ट्रंप को भी झुकाया, अब भारत इस क्षेत्र में भी बनेगा आत्मनिर्भर; 7,280 करोड़ रुपये की योजना को मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंजूर इस पहल का मकसद भारत को ग्लोबल मैग्नेट सप्लाई चेन में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करना है।

Follow : Google News Icon  
Rare Earth Permanent Magnets
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी | Image: ANI/X

भारत की स्ट्रेटेजिक मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए ₹7,280 करोड़ की स्कीम को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंजूर इस पहल का मकसद भारत को ग्लोबल मैग्नेट सप्लाई चेन में एक अहम खिलाड़ी के तौर पर स्थापित करना है, जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, रिन्यूएबल एनर्जी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और डिफेंस के लिए बहुत जरूरी है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मंजूरी को एक “बहुत जरूरी, स्ट्रेटेजिक फैसला” बताया, और कहा कि यह देश के अंदर एक बड़े पैमाने पर REPM मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने की पहली सोची-समझी कोशिश है।

‘पांच बेनिफिशियरी को कैपेसिटी दी जाएगी’

इस स्कीम के तहत, सरकार पांच सालों में सेल्स-लिंक्ड इंसेंटिव के तौर पर ₹6,450 करोड़ और 6,000 MTPA की कुल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बनाने में मदद के लिए ₹750 करोड़ की कैपिटल सब्सिडी देगी। कुल समय सात साल होगा, जिसमें इंटीग्रेटेड फैसिलिटी बनाने के लिए दो साल का जेस्टेशन पीरियड और पांच साल का इंसेंटिव देना शामिल है। ग्लोबल कॉम्पिटिटिव बिडिंग के जरिए पांच बेनिफिशियरी को कैपेसिटी दी जाएगी, जिनमें से हर एक 1,200 MTPA तक के लिए एलिजिबल होगा।

रेयर अर्थ मैग्नेट के इम्पोर्ट के लिए चीन पर निर्भरता

इस प्रोग्राम में पूरी REPM वैल्यू चेन, रेयर अर्थ ऑक्साइड को मेटल में, मेटल को एलॉय में और एलॉय को फिनिश्ड मैग्नेट में बदलना, को देश में ही डेवलप करने की सोची गई है। सरकार ने कहा कि इस पहल से न केवल इंपोर्ट पर डिपेंडेंस कम होगी, बल्कि इंडस्ट्रीज के एडवांस्ड मोबिलिटी और क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस की ओर बढ़ने के साथ भारत की मैग्नेट सप्लाई चेन भी सुरक्षित होगी।

Advertisement

भारत अभी रेयर अर्थ मैग्नेट के इम्पोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर है, मुख्य रूप से चीन से, क्योंकि घरेलू रिफाइनिंग और मैग्नेट बनाने की क्षमता सीमित है। सरकार ने कहा कि स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाना, नेट जीरो 2070 और विकसित भारत @2047 के विजन जैसे लंबे समय के लक्ष्यों के साथ मेल खाता है, साथ ही देश के अंदर इनोवेशन और वैल्यू क्रिएशन के मौके भी पैदा करता है।

ये भी पढ़ेंः 'दूसरों को ज्ञान ना दे पाकिस्तान', भारत ने PAK को लगाई कड़ी फटकार

Advertisement

Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 26 November 2025 at 19:42 IST