अपडेटेड 27 January 2025 at 13:42 IST
BREAKING: देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने लॉन्च किया UCC पोर्टल
BREAKING: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो गई है। उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
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BREAKING: उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हो गई है। उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ( Pushkar Singh Dhami ) ने UCC पोर्टल करके इसकी शुरूआत की।
वैसे तो इसका एक उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना और धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म करना है। यूसीसी के तहत उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण बदलाव होने वाले हैं, जिसमें वैवाहिक जीवन से लेकर विरासत और संपत्ति, लिव इन रिलेशनशिप जैसे मामलों पर खास फोकस रहा है।
उत्तराखंड में यूसीसी के मुख्य नियम
- विवाह और तलाक: यूसीसी लागू होने से विवाह की न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल निर्धारित है। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। तलाक की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और सबसे अहम कि इसमें बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को अधिकारों के मामले में समानता मिलेगी।
- विरासत और संपत्ति: संपत्ति के बंटवारे में सभी वारिसों को समान अधिकार होंगे। धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
- प्रिविलेज्ड वसीयत: सैनिकों के लिए 'प्रिविलेज्ड वसीयत' का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत वे अपनी वसीयत अपने हाथ से लिख या मौखिक रूप से निर्देशित करके भी तैयार कर सकते हैं।
- वसीयत बनाना अनिवार्य नहीं: यूसीसी अधिनियम में वसीयत बनाना किसी के लिए अनिवार्य नहीं है और यह केवल एक व्यक्तिगत निर्णय है।
- लिव-इन रिलेशनशिप: लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी गई है और ऐसे रिश्तों में पैदा होने वाले बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित किया गया है।
- गोद लेना: गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
यूसीसी को लेकर सरकार का पक्ष क्या है?
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सरकार का मानना है कि यूसीसी सभी धर्मों का सम्मान करते हुए बनाया गया है और यह सभी नागरिकों के हित में है। सरकार का मानना है कि यूसीसी परिवारिक मूल्यों को मजबूत करेगा और समाज में सद्भाव लाएगा। हालांकि सरकार के सामने यूसीसी लागू करने में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं, जैसे कि लोगों को नए कानूनों के बारे में जागरूक करना और पुराने रीति-रिवाजों को बदलना।
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Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 27 January 2025 at 13:29 IST