अपडेटेड 14 August 2025 at 11:06 IST
वो स्विस महिला, जिसने डिजाइन किए परमवीर चक्र और अशोक चक्र समेत कई वीरता सर्वोच्च सम्मान, दामाद को मिला था पहला पदक
परमवीर चक्र केवल एक सैन्य सम्मान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, वीरता और बलिदान का प्रतीक भी है। परमवीर चक्र डिजाइन के लिए भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरणा ली गई थी।
- भारत
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परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है, जो युद्ध के दौरान दुश्मन के सामने असाधारण वीरता और बलिदान के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार दुश्मन की उपस्थिति में सबसे विशिष्ट बहादुरी के लिए दिया जाता है। इस भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 26 जनवरी, 1950 से शुरू हुए इस पुरस्कार को किसने डिजाइन किया था?
परमवीर चक्र सेना, नौसेना, वायुसेना, रिजर्व बलों, टेरिटोरियल सेना या अन्य सशस्त्र बलों के सैनिकों को दिया जा सकता है। आपको जानकारी हैरानी होगी कि इसे एक स्विस महिला सावित्री बाई खानोलकर ने डिजाइन किया था। जिनका मूल नाम ईवा योन्ने लिंडा मेडे डे मारोस (Eve Yvonne Maday de Maros) था।
कौन थीं सावित्री बाई खानोलकर?
20 जुलाई, 1913 को स्विट्जरलैंड में जन्मी सावित्री बाई के पिता हंगरी और मां रूसी थीं। 1929 में उनकी मुलाकात भारतीय सेना के सिख रेजिमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम रामजी खानोलकर से हुई और 1932 में उन्होंने लखनऊ में मराठी रीति-रिवाजों के साथ कैप्टन विक्रम से शादी करली। सावित्री के माता-पिता ने इस शादी का विरोध किया था। शादी के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया और अपना नाम ईवा योन्ने लिंडा मेडे डे मारोस से बदकर सावित्री बाई खानोलकर रख लिया।
परमवीर चक्र डिजाइन की जिम्मेदारी?
सावित्री बाई भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से वेद, उपनिषद और संस्कृत साहित्य में गहरी रुचि रखती थीं। उन्होंने हिंदी, मराठी और संस्कृत भाषाएं सीखीं, भारतीय दर्शन और पौराणिक कथाओं का गहन अध्ययन किया। उनकी विद्वता और कला के प्रति रुचि को देखते हुए, 1947 में मेजर जनरल हीरालाल अटल ने परमवीर चक्र के डिजाइन की जिम्मेदारी सौंपी थी। उस समय उनके पति भी मेजर जनरल के पद पर थे। उन्होंने-
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- परमवीर चक्र
- अशोक चक्र
- महावीर चक्र
- कीर्ति चक्र
- वीर चक्र
- शौर्य चक्र डिजाइन किये थे।
डिजाइन की प्रेरणा
सावित्री बाई ने परमवीर चक्र डिजाइन के लिए भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरणा ली थी, विशेष रूप से महर्षि दधीचि की कथा से, जिन्होंने देवताओं के लिए अपनी अस्थियों का दान किया था। जिससे इंद्र का हथियार वज्र बनाया गया था। यह वज्र वीरता और बलिदान का प्रतीक है।
परमवीर चक्र एक गोलाकार कांस्य डिस्क है, जिसका व्यास 35 मिलीमीटर (1 3/8 इंच) का होता है। इसके केंद्र में भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ है, जो इंद्र के वज्र की 4 प्रतिकृतियों से घिरा हुआ है। भारतीय पौराणिक कथाओं में वज्र शक्ति और वीरता का प्रतीक है। इसके पिछले भाग में हिंदी और अंग्रेजी में "परमवीर चक्र" लिखा होता है। इस पदक को 32 मिलीमीटर चौड़े बैंगनी रंग के रिबन से लटकाया जाता है।
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दामाद को मिला पहला पदक
खास बात ये है कि पहला परमवीर चक्र उनसे दामाद मेजर सोमनाथ शर्मा को मिला था। मेजर सोमनाथ शर्मा, सावित्री बाई खानोलकर की बेटी कुमुदिनी शर्मा के देवर थे। मेजर शर्मा देश के लिए 1947 में बडगाम की लड़ाई के बाद शहीद हो गए थे। मेजर शर्मा अपनी कंपनी के साथ श्रीनगर हवाई अड्डे की रक्षा में तैनात थे। बडगाम जंग में गोला-बारूद खत्म होने वाला था, ब्रिगेड मुख्यालय से उन्हें पीछे हटने का आदेश मिला, लेकिन मेजर सोमनाथ ने इससे इनकार कर दिया। उन्हें मरणोपरांत भारत के पहले परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 14 August 2025 at 11:06 IST