अपडेटेड 22 May 2025 at 17:54 IST

Waqf Act: वक्फ कानून में अंतरिम राहत पर फैसला सुरक्षित, आज की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अहम रहे ये प्वाइंट्स

Waqf Act: केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में लाए गए वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस कानून को कई मुस्लिम और राजनीतिक दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। लगातार तीन दिन सुनवाई करने के बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में अंतरिम राहत पर फैसला सुरक्षित रखा।

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 Important hearing on Waqf law in Supreme Court
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. | Image: ANI

Waqf Act: केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में लाए गए वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस कानून को कई मुस्लिम और राजनीतिक दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। लगातार तीन दिन सुनवाई करने के बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में अंतरिम राहत पर फैसला सुरक्षित रखा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अंतरिम राहत पर अपना आदेश सुरक्षित रखने से पहले तीन दिनों तक सभी पक्षों की सुनवाई की। गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग पक्षों को सुना।

आज की सुनवाई का सार

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी- वक्फ बाय यूजर इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। पूजा स्थल अधिनियम 1991 में ही समाप्त हो गया था, जबकि वक्फ बाय यूजर सैकड़ों सालों से भी अधिक समय तक जारी रह सकता है। ये कितना उचित है?

अनुसूचित जनजाति के मामले में कहा- अनुसूचित जनजाति देश के बाकी हिस्सों की तरह इस्लाम का पालन नहीं करते हैं। उनकी अलग सांस्कृतिक पहचान है। आदिवासी संगठनों ने दलील दी है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और उनकी जमीनों को वक्फ के तौर पर हड़पा जा रहा है।

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सॉलिसिटर जनरल- अगर आप शरिया कानून को देखें तो अगर कोई मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन का लाभ लेना चाहता है तो उसे भी मुस्लिम होने का घोषणापत्र देना होगा। यहां भी यही बात है। वही घोषणापत्र मांगा जा रहा है।

सॉलिसिटर जनरल- वक्फ बनाना वक्फ को दान देने से अलग है। यही कारण है कि मुसलमानों के लिए 5 साल की प्रैक्टिस की जरूरत है, ताकि वक्फ का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए न किया जाए। तो मान लीजिए कि मैं हिंदू हूं और मैं वक्फ के लिए दान करना चाहता हूं, तो वक्फ को दान दिया जा सकता है।

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सॉलिसिटर जनरल- अधिनियम की धारा 29, सीईओ की नियुक्ति मुस्लिम या गैर मुस्लिम की जा सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दुनिया का विस्तार हो रहा है और अगर सरकार को लगता है कि किसी बोर्ड को अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि की जरूरत है तो ऐसा किया जा सकता है। इसलिए ये एक सक्षम धारा है जो बॉर्डर बेस को नियुक्ति करने की अनुमति देती है। कार्यकारी अध्यक्ष मुस्लिम है। सीईओ राज्य स्तरीय निकाय का सीईओ है और इसका कार्य योजना बनाना आदि है।

आर्टिकल 25 और वक्फ के रिलीजियस प्रैक्टिस को लेकर दावे के कारण 9 जजों की बेंच को भेजने की मांग की गई, जिसका सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया और वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं, इस पर बहस की मांग की गई।

कपित सिब्बल-  एक समुदाय का अधिकार छीन लिया जाता है। 200 साल से भी पुराने बहुत से कब्रिस्तान हैं। 200 साल बाद सरकार कहेगी कि ये मेरी जमीन है और इस तरह कब्रिस्तान की जमीन छीनी जा सकती है?

जवाब में सीजेआई- लेकिन अगर आपने इसे 1923 के अधिनियम के तहत रजिस्टर किया होता। तो ऐसा नहीं है कि 1923 से 2025 तक, 100 साल तक पंजीकरण कभी अस्तित्व में ही नहीं था।

सिब्बल: कृपया जस्टिस फजल अली का ये फैसला देखें- 1976.

CJI: लेकिन सरकारी जमीन का क्या?

सिब्बल: हां, समुदाय सरकार से पूछता है कि हमें कब्रिस्तान चाहिए, जमीन आवंटित की जाती है। लेकिन फिर 200 साल बाद वो इसे वापस मांगते हैं और फिर क्या? कब्रिस्तान को इस तरह वापस नहीं लिया जा सकता, ये हर जगह है। इसके गंभीर परिणाम होंगे।

सीजेआई: हां, हम इस पर गौर करेंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन: वक्फ की अनिवार्यता और अभिन्नता स्थापित है। ये दान का हिस्सा है और ये इस्लाम के 5 स्तंभों का हिस्सा है।

CJI: जैसा कि कहा गया कि हर कोई स्वर्ग जाना चाहता है, बिना ये जाने कि स्वर्ग है या नहीं।

अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ एक्ट से धारा 3r,  3r(i), 3C, 3D, 3E, 9 and 14, 36(7a) and 41 को हटाने की मांग की।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 22 May 2025 at 17:54 IST