अपडेटेड 10 July 2025 at 15:55 IST
बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का रोक से इनकार, चुनाव आयोग को बड़ी राहत, विपक्ष को झटका!
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR ) के अपने कार्य को जारी रखने की अनुमति दे दी है। कोर्ट के इस फैसले से विपक्ष को बड़ा झटका लगा है।
- भारत
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। SIR के विरोध में विपक्षों दलों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले पर लंबी सुनवाई है। याचिकाकर्ता और चुनाव आयोग दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फिलहाल SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय माल्य बागची शामिल हैं, मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी। कोर्ट में याचिकाकर्ता और चुनाव आयोग की ओर दी गई दलील पर घंटों बहस चली, जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए फिलहाल, SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
SIR पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के चुनाव आयोग को चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR ) के अपने कार्य को जारी रखने की अनुमति दे दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि न्याय के हित में, चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र आदि जैसे दस्तावेजों को भी शामिल करने पर विचार करना चाहिए।
कोर्ट में दोनों पक्षों ने रखी ये दलील
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बात कहा कि याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 का उल्लेख करते हुए इस नियम का हवाला देकर चुनावी प्रक्रिया में कुछ खामियों की ओर इशारा किया है। इसके जवाब में चुनाव आयोग के वकील ने कहा, 2003 में भी इंटेंसिव रिवीजन हुआ था। अब भी सही तरीके से इसे चलाया जा रहा है। याचिकाकर्ता का कहना था कि आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं, और उससे पहले अधिसूचना जारी की जानी है, ऐसे में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Summary Revision - SSR) की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से होनी चाहिए।
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मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, हमारा मानना है कि इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। फिलहाल हम SIR पर रोक नहीं लगा रहे हैं। अब मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, उससे पहले सभी पक्ष अपना-अपना जवाब दाखिल करें। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आयोग से प्रूफ के तौर पर आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा, यदि चुनाव आयोग चाहे तो कारण बताकर इन्हें अस्वीकार भी कर सकता है। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि "नागरिकता केंद्र सरकार तय करती है। बूथ लेवल ऑफिसर(BLO) को ये पावर दिया गया है कि वो तय करें कि कोई भारत का नागरिक है या नहीं, चुनाव आयोग ये तय नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि इस पर चुनाव आयोग को जवाब देने दीजिए।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 10 July 2025 at 15:19 IST