अपडेटेड 27 May 2025 at 15:26 IST
'हम ड्राइंग रूम की व्यवस्था कर सकते हैं, रात को डिनर पर जाइए और...', SC ने तलाक मामले में कपल के बीच सुलह के लिए पेश की मिसाल
पत्नी, जो एक फैशन उद्यमी हैं, ने कोर्ट से अपने तीन साल के बेटे को विदेश यात्रा पर ले जाने की अनुमति मांगी थी। यह जोड़ा पहले से ही तलाक और बच्चे की कस्टडी को लेकर मुकदमे में उलझा हुआ है। कोर्ट ने यह कहते हुए चिंता जताई कि दंपति के बीच लंबे समय से जारी विवाद का सीधा असर मासूम बच्चे पर पड़ रहा है, जो उसके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।
- भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (26 मई 2025) को तलाक की प्रक्रिया से गुजर रहे एक कपल को दिल छू लेने वाली सलाह दी। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि वे कोर्टरूम के बाहर शांत माहौल में बैठकर अपने मतभेदों पर चर्चा करें और उन्हें सुलझाने की ईमानदार कोशिश करें। सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने यह भी सुझाव दिया कि दोनों पक्ष एक साथ डिनर पर जाएं, ताकि बातचीत के लिए बेहतर माहौल बन सके। अदालत ने यह सलाह इस बात को ध्यान में रखते हुए दी कि उनके बीच का तनाव तीन साल के मासूम बच्चे पर नकारात्मक असर डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह मानवीय रुख एक बार फिर यह याद दिलाता है कि न्याय केवल कानून नहीं, भावनाओं और भविष्य की भलाई को भी देखता है।
सुप्रीम कोर्ट में एक तलाकशुदा जोड़े के बीच चल रही कानूनी लड़ाई के दौरान एक मानवीय पहलू सामने आया। मामला जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के सामने था। पत्नी, जो एक फैशन उद्यमी हैं, ने कोर्ट से अपने तीन साल के बेटे को विदेश यात्रा पर ले जाने की अनुमति मांगी थी। यह जोड़ा पहले से ही तलाक और बच्चे की कस्टडी को लेकर मुकदमे में उलझा हुआ है। कोर्ट ने यह कहते हुए चिंता जताई कि दंपति के बीच लंबे समय से जारी विवाद का सीधा असर मासूम बच्चे पर पड़ रहा है, जो उसके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। न्यायालय ने दोनों पक्षों से आग्रह किया कि वे आपसी मतभेदों को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश करें और बच्चे के हित को प्राथमिकता दें। अदालत ने कहा कि माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनका व्यवहार और तनाव बच्चे के भविष्य को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
तलाक के लिए आए दंपति से सुप्रीम कोर्ट के जज ने की भावुक अपील
सुप्रीम कोर्ट में तलाक की अर्जी पर सुनवाई के दौरान एक भावुक पल देखने को मिला जब जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने तीन साल के बच्चे के माता-पिता को सुलह की सलाह दी। कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा, 'आपका तीन साल का बच्चा है, फिर यह अहंकार किस बात का? हमारी कोर्ट की कैंटीन शायद इतनी अच्छी न हो, लेकिन हम आपको बातचीत के लिए एक और कमरा मुहैया करा सकते हैं। आज रात एक साथ खाना खाइए, कॉफी पर बहुत कुछ सुलझ सकता है।' यह सलाह कानूनी आदेश से कहीं ज्यादा एक मानवीय अपील थी इस उम्मीद के साथ कि दो वयस्क अपनी परेशानियों को पीछे छोड़कर अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए मिलकर कोई रास्ता निकालें।
अतीत को कड़वा घूंट समझकर निगल जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तलाक की प्रक्रिया से गुजर रहे एक दंपति को सलाह देते हुए कहा कि वे अतीत की कड़वाहट को एक कड़वी गोली की तरह निगलें और भविष्य की ओर देखें। कोर्ट ने कहा कि उनके मतभेदों का असर उनके तीन साल के बेटे पर पड़ रहा है, जो चिंताजनक है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार तक टालते हुए उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष आपसी संवाद के जरिए किसी सकारात्मक समाधान पर पहुंच सकते हैं। पीठ ने कहा, "हमने दोनों को निर्देश दिया है कि वे आपस में बातचीत करें और कल अदालत में पेश हों।" सुप्रीम कोर्ट का यह दृष्टिकोण न केवल कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा है, बल्कि परिवार और बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक मानवीय अपील भी है।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 27 May 2025 at 15:26 IST