अपडेटेड 20 May 2025 at 07:59 IST

'भारत कोई धर्मशाला नहीं, हम पहले ही 140 करोड़...', सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले पर की ये सख्त टिप्पणी, दिया ये आदेश

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आर्टिकल 19 के तहत सिर्फ भारतीयों को ही भारत में रहने और बसने का अधिकार है। किसी विदेशी नागरिक को नहीं।

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Supreme Court
Supreme Court | Image: X

Supreme Court news: सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की। शरणार्थी को शरण देने के मामले में कोर्ट ने बयान देते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जो सारी दुनिया के शरणार्थी को शरण दें। कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि हम पहले से ही 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं।

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक श्रीलंकाई तमिल की ओर से दाखिल याचिका पर की, जिसमें उसने भारत में रहने की मांग की थीं। जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने सोमवार (18 मई) को उसकी याचिका खारिज कर दी।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार मामला ऐसा है कि साल 2015 में एक श्रीलंकाई व्यक्ति को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से जुड़े होने के शक पर अरेस्ट किया गया है। LTTE  उस वक्त श्रीलंका में एक्टिव आतंकवादी संगठन था। ट्रायल कोर्ट ने उसे साल 2018 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट (UAPA) के तहत दोषी पाया और 10 साल की सजा भी हुई। हालांकि साल 2022 में मद्रास हाई कोर्ट ने शख्स की सजा को कम करते हुए 7 साल कर दी। साथ ही कोर्ट की और से उसे सजा पूरी होने पर देश छोड़ने का भी आदेश दिया था। आदेश में उसे निर्वासन से पहले एक शरणार्थी कैंप में रहने को कहा गया।

श्रीलंका में बताया जान को खतरा

अब उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उसे वापस श्रीलंका न भजने की अपील की। इसको लेकर उसके वकील ने शख्स को श्रीलंका में जान की खतरा होने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि वह वैध वीजा पर भारत आया था। उसकी पत्नी और बच्चे भारत में बस चुके हैं। उसने यह भी तर्क दिया कि वह तीन साल से हिरासत में है लेकिन निर्वासन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही।  

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कोर्ट ने कहा- किसी दूसरे देश चले जाएं

सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या भारत दुनियाभर के शरणार्थियों की मेजबानी करने के लिए है? पहले से ही हम 140 करोड़ लोगों को संभाल रहे हैं। भारत कोई धर्मशाला नहीं है।

इस दौरान जस्टिस दत्ता ने साफ किया कि याचिकाकर्ता की हिरासत संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन नहीं करती है। ये कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिकल 19 के तहत सिर्फ भारतीयों को ही भारत में रहने और बसने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि वह एक शरणार्थी है। अगर श्रीलंका में उसकी जान को खतरा है, तो किसी दूसरे देश चले जाएं।

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 20 May 2025 at 07:59 IST