अपडेटेड 20 August 2024 at 15:29 IST
हेमा समिति की रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया आयी, महिला आयोग ने सरकार से कार्रवाई की मांग की
न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर आश्चर्यजनक खुलासों पर विभिन्न वर्गों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
- भारत
- 2 min read

न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर आश्चर्यजनक खुलासों पर विभिन्न वर्गों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए काम करने का सुरक्षित माहौल और महिला पेशेवरों के साथ समान बर्ताव सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने शिकायतों की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की महिला अधिकारियों का एक दल गठित करने की मांग की है जबकि राज्य महिला आयोग ने रिपोर्ट में उल्लेख किए मुद्दों से निपटने के लिए प्राधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने के लिये कहा है।
महिला आयोग की अध्यक्ष पी. सती देवी ने सोमवार को कहा, ‘‘हेमा समिति की सुझाव के आधार पर महिला आयोग सरकार से शूटिंग सेट पर ‘कार्य स्थल पर महिलाओं से उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) कानून, 2013’ के अनुसार शिकायत निवारण समिति बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सिफारिश देगा।’’
मलयालम सिनेमा उद्योग ने रिपोर्ट का स्वागत किया
रिपोर्ट जारी किए जाने का स्वागत करते हुए मलयालम सिनेमा उद्योग में महिला पेशेवरों के संगठन ‘वुमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (डब्ल्यूसीसी) ने उम्मीद जतायी कि सरकार सिफारिशों का अध्ययन करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
Advertisement
राज्य सरकार ने 2019 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था। समिति ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के समक्ष आ रही समस्याओं का अध्ययन किया। इस रिपोर्ट में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के महत्वपूर्ण विवरण को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला गया है, जिससे मलयालम फिल्म उद्योग में महिला पेशेवरों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में चिंता उत्पन्न हो गई है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
चौंकाने वाले खुलासों की एक श्रृंखला में, रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला कलाकारों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें फिल्म उद्योग में नशे में धुत व्यक्तियों द्वारा उनके कमरों के दरवाजे खटखटाने की घटनाएं भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न की शिकार कई महिलाएं डर के कारण पुलिस में शिकायत करने से कतराती हैं।
Advertisement
रिपोर्ट के अनुसार, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दे दिए जाते हैं और जो समझौता करने के लिए तैयार नहीं होतीं, उन्हें काम नहीं दिया जाता है। सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद रिपोर्ट की प्रति आरटीआई अधिनियम के तहत मीडिया को दी गई।
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 20 August 2024 at 15:29 IST