अपडेटेड August 1st 2024, 21:22 IST
Karnataka News: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्यों को वंचित जातियों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए निर्धारित आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का अधिक अधिकार दिए जाने के फैसले को बृहस्पतिवार को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार दिया और कहा कि इस फैसले से श्रेणियों में कोटा देने के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा दूर हो गई है।
उच्चतम न्यायालय ने आज (बृहस्पतिवार) एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अनुसूचित जातियों में सबसे पिछड़े लोगों की पहचान करने और उन्हें आरक्षण में कोटा देने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है। मैं इस फैसले का तहे दिल से स्वागत करता हूं।”
उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय के फैसले से आरक्षण में कोटा देने के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। हम फैसले के विवादास्पद पहलुओं के बारे में अनुसूचित जाति के नेताओं और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।”
विवादास्पद पहलुओं में क्रीमी लेयर का मुद्दा भी शामिल है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर कोटा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार न्यायमूर्ति एजे सदाशिव की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कमेटी को कांग्रेस पार्टी ने बनाया था। हमने पिछले विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में यह वादा भी किया था।”
सिद्धरमैया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के मौजूदा फैसले के मद्देनजर राज्य सरकार न्यायामूर्ति एजे सदाशिव समिति की सिफारिशों का गहन अध्ययन करेगी।
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए आरक्षण में कोटा देने के बारे में परामर्श और बातचीत के जरिए स्पष्ट फैसला लिया जाएगा।
पब्लिश्ड August 1st 2024, 21:22 IST