अपडेटेड 21 August 2025 at 14:55 IST

Shubhanshu Shukla: Axiom-4 मिशन से शुभांशु शुक्ला ने क्या-क्या हासिल किया, भारत के मिशन गगनयान में कितना लाभदायक होगा? खुद बताया

गुरुवार को दिल्ली में ISRO ने ज्वाइंट पीसी रखी थी, जिसमें अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने ISS पर अपने ऐतिहासिक Axiom-4 मिशन से क्या-क्या हासिल और अपने अनुभवों को साझा किया। साथ ही मिशन गगनयान पर भी बड़ी जानकारी सामने आई है।

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Shubhanshu Shukla shares iss experience
Axiom-4 मिशन से शुभांशु शुक्ला ने क्या-क्या हासिल किया खुद बताया। | Image: Republic/ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज, गुरुवार को अपने अगले मिशन गगनयान पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित  किया। इस प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे अंतरिक्ष यात्री और वायुसेना के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने किया। इस दौरान उन्होंने Axiom-4 मिशन और ISS पर अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मेरा द्वारा हासिल किए गए अनुभव मिशन गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होंगे।

Axiom-4 मिशन पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, "मैं भारत सरकार, ISRO और अपने सहयोगियों का धन्यवाद करना चाहता हूं। हम फाल्कन 9 व्हीकल के ऊपर उड़ान भर रहे थे। क्रू ड्रैगन उन तीन व्हीकल में से एक है जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जा सकता है। इस मिशन में मेरा काम मिशन पायलट का था। क्रू ड्रैगन में चार सीटें होती हैं।

शुभांशु शुक्ला ने साझा किए अपने अनुभव

शुभांशु शुक्ला ने आगे बताया कि मैं Axiom-4 मिशन का पायलट था और मुझे कमांडर के साथ काम करना था और क्रू ड्रैगन के सिस्टम के साथ बातचीत करनी थी। हमें भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा परिकल्पित, विकसित और कार्यान्वित किए गए प्रयोगों को अंजाम देना था। साथ ही STEM प्रदर्शन भी करने थे, तस्वीरें और वीडियोग्राफी भी करनी थी।

मेरे अनुभव मिशन गगनयान के लिए उपयोगी-शुभांशु शुक्ला

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आगे बताया कि 'मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने का फायदा सिर्फ प्रशिक्षण से कहीं ज्यादा है। वहां रहकर हमें जो अतिरिक्त ज्ञान मिलता है, वह अमूल्य है। पिछले एक साल में मैंने जो भी जानकारी इकट्ठा की है, वह हमारे अपने मिशनों, गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए बेहद उपयोगी होगी। बहुत जल्द हम अपने कैप्सूल से, अपने रॉकेट से और अपनी धरती से किसी को अंतरिक्ष में भेजेंगे। यह अनुभव जमीन पर सीखे गए अनुभव से बहुत अलग होता है। शरीर कई बदलावों से गुजरता है। अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद शरीर गुरुत्वाकर्षण में रहना भूल जाता है।

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भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है

Axiom-4 मिशन की सफलता पर शुभांशु शुक्ला ने कहा, यह मिशन बेहद सफल रहा है। हम अपने सभी तकनीकी उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहे हैं। ऐसे मिशन के क्रियान्वयन से बहुत सी ऐसी जानकारी मिलती है जिसे मापा या दर्ज नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपने देश पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि भारत आज भी अंतरिक्ष से सारे जहां से अच्छा दिखता है। जय हिंद, जय भारत।

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ISRO अध्यक्ष ने मिशन गगनयान पर दिया ये अपडेट

ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने मिशन गगनयान को लेकर कहा कि  GSLV-F16 रॉकेट ने 30 जुलाई को सबसे प्रतिष्ठित NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार को सटीक रूप से स्थापित किया। अगले 2-3 महीनों में हम यूएसए का 6500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉन्च करेंगे, जिसे हमारे प्रक्षेपण वाहन का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा। गगनयान मिशन का लक्ष्य 2027 में तीन वायु सेना पायलटों को अंतरिक्ष में भेजना है। वे हिंद महासागर में लौटने से पहले तीन दिनों तक 400 किलोमीटर की परिक्रमा करेंगे। इस मिशन पर लगभग 20,193 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

कब उड़ान भरेगी मिशन गगनयान?

बता दें कि गगनयान के लिए चार वायु सेना पायलटों का चयन किया जा चुका है, जिनमें  शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। मानव को भेजने से पहले, ISRO दो मानवरहित परीक्षण उड़ानें और उसके बाद एक रोबोटिक मिशन करेगा। इन परीक्षणों की सफलता के बाद ही पहली मानवयुक्त उड़ान, संभवतः इस साल के अंत तक संभव होगी।

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Published By : Rupam Kumari

पब्लिश्ड 21 August 2025 at 14:55 IST