अपडेटेड 19 July 2025 at 21:21 IST

'प्रोजेक्ट राहत' के लिए COWE इंडिया के यंगप्रेन्योर्स समिट 2025 में शिव नादर स्कूल की छात्रा ने जीता अवॉर्ड, CM रेखा गुप्ता ने किया सम्मानित

प्रेरणादायक युवा सोच और कमाल की लीडरशिप का प्रदर्शन करते हुए राधिका ओझा, शिव नादर स्कूल, नोएडा में इंटरनेशनल बैकलॉरिएट डिप्लोमा प्रोग्राम की छात्रा, प्रतिष्ठित सीओडब्ल्यूई इंडिया के यंगप्रेन्योर्स समिट 2025 में एक राष्ट्रीय स्तर पर चेंजमेकर के रूप में उभरी हैं।

Follow : Google News Icon  
Youngpreneurs Summit 2025
Youngpreneurs Summit 2025 | Image: Republic

प्रेरणादायक युवा सोच और कमाल की लीडरशिप का प्रदर्शन करते हुए राधिका ओझा, शिव नादर स्कूल, नोएडा में इंटरनेशनल बैकलॉरिएट डिप्लोमा प्रोग्राम की छात्रा, प्रतिष्ठित सीओडब्ल्यूई इंडिया के यंगप्रेन्योर्स समिट 2025 में एक राष्ट्रीय स्तर पर चेंजमेकर के रूप में उभरी हैं। उनकी पुरस्कार विजेता पहल 'प्रोजेक्ट राहत', शहरी स्थानों को समावेशिता, स्थिरता और गरिमा के साथ पुनः परिभाषित करती है। एक सहानुभूतिशील भविष्य की ओर कदम उठाने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है।

'राइजिंग स्टार्स: मेड इन माइंड, बिल्ट इन भारत', विषय पर आयोजित इस शिखर सम्मेलन में युवा भारतीय प्रतिभाओं के परिवर्तनकारी विचारों पर प्रकाश डाला गया। इनमें से, राधिका का 'प्रोजेक्ट राहत' अपने साहसिक मिशन के लिए उभर कर सामने आया: जो प्रतिकूल वास्तुकला को ध्वस्त करने और ऐसे शहरी डिज़ाइन को तैयार करने पर जोर देता है जो समाज के सबसे कमजोर लोगों- स्कूल गार्ड, बस चालक, श्रमिक, बच्चों और बुजुर्गों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाएं।

परंपरागत टेराकोटा शिल्प कौशल और अत्याधुनिक सस्टेनेबल डिजाइन के विचारपूर्ण मिश्रण के माध्यम से, 'प्रोजेक्ट राहत', प्राकृतिक रूप से ठंडे रहने वाले पवेलियन, नए सिरे से डिज़ाइन किए गए बस शेल्टर और मानवीय गार्ड पॉड पेश करता है - ऐसे स्थान जो अत्यधिक गर्मी से राहत प्रदान करते हैं, साथ ही सामुदायिक मेलजोल को भी बढ़ावा देते हैं। यह पहल स्थानीय कारीगरों को सपोर्ट करती है, सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखती है और भारत के संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के संकल्प के साथ तालमेल बिठाती है।

राधिका अपनी सफलता का श्रेय नोएडा स्थित शिव नादर स्कूल में मिले प्रोत्साहन और नवाचार के माहौल को देते हुए कहती हैं कि 'यह सराहना सिर्फ़ मेरे प्रयासों की ही नहीं बल्कि, मेरे स्कूल द्वारा मुझमें डाले गए मूल्यों- सहानुभूति की भावना, रचनात्मकता और ज़िम्मेदारी को भी दर्शाती है। यह मुझे याद दिलाता है कि युवा आवाज़ें शहरी जगहों की नई कल्पना कर सकती हैं- कंक्रीट के जंगल के रूप में नहीं, बल्कि गरिमा, आरामदायक और समावेशन के आश्रय-स्थलों के रूप में। शिव नादर स्कूल में, मुझे इस दृष्टिकोण को हकीकत में बदलने का साहस मिला है'।

Advertisement

'प्रोजेक्ट राहत' पहले से ही दिल्ली, नोएडा और गुजरात में लागू किए जाने को लेकर चर्चा में है। यह सबको साथ लेकर चलने वाला, जलवायु-अनुकूल शहरी डिजाइन के लिए एक विस्तारणीय ब्लूप्रिंट प्रदान करता है। इस प्रोजेक्ट को इस मॉडल के रूप में सराहा जा रहा है कि कैसे युवा दिमाग, सहायक संस्थानों के मार्गदर्शन में, स्थानीय समाधानों के साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

Advertisement

इसे भी पढ़ें: कर्मों से होती है इंसान की पहचान, सैल्यूट कलाम नॉट कसाब- इंद्रेश कुमार
 

Published By : Deepak Gupta

पब्लिश्ड 19 July 2025 at 21:21 IST