अपडेटेड 25 September 2024 at 14:25 IST
संजौली मस्जिद विवाद शांत होने के बाद अब टांग अड़ा रही AIMIM; वीडियो दिखाकर बोले शोएब-सिर्फ यही क्यों
AIMIM नेता शोएब जमई ने संजौली मस्जिद का दौरा किया और दावा कर रहे हैं कि शिमला में बाकि ऊंची ऊंची इमारतें हैं, ये भी अवैध हैं। सिर्फ मस्जिद पर ही नजर क्यों है?
- भारत
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Sanjauli Masjid Row: शिमला में संजौली मस्जिद का विवाद लगभग शांत पड़ चुका था। मस्जिद का अवैध निर्माण को हटाने के लिए मुस्लिम समुदाय खुद आगे आया था। अब कुछ हफ्तों के बाद मामले को फिर तूल देने की कोशिश शुरू हो गई है। संजौली में शांति के बावजूद मामले में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM टांग अड़ाने आ गई है। AIMIM के नेता शोएब जमई ने मामले को सुलगाने के लिए खुद संजौली मस्जिद पहुंच गए हैं।
AIMIM के नेता शोएब जमई ने संजौली मस्जिद का दौरा किया है और दावा कर रहे हैं कि शिमला में बाकि ऊंची ऊंची इमारतें हैं, ये भी अवैध हैं। सिर्फ मस्जिद पर ही नजर क्यों है? खुद शेयर किए वीडियो में जमई कह रहे हैं कि मस्जिद के आसपास की इमारतें भी इतनी ही ऊंची है। ऐसे में वो PIL दायर करेंगे। मामले को समझना होगा कि इसके पहले संजौली मस्जिद के प्रतिनिधिमंडल ने खुद नगर निगम आयुक्त के पास जाकर अवैध निर्माण को गिराने की मंजूरी मांगी थी।
AIMIM नेता ने उठाए सवाल
शोएब जमई का दावा है कि 'शिमला की संजौली मस्जिद के आसपास जितनी भी बिल्डिंग है सब के ऊपर अवैध निर्माण हुआ है। उन सब की हाइट मस्जिद की हाइट से ज्यादा है। शिमला नगर निगम ने खुद 7000 अवैध निर्माण चिन्हित किया था।' AIMIM नेता ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सब पर बुलडोजर चलेगा या सिर्फ मस्जिद को निशाना बनाया गया। वीडियो में लाइव सबूत है।
AIMIM के नेता ने दिखाए कागजात
AIMIM के नेता ने कुछ कागजात भी दिखाए हैं और दावा किया कि 'ये कागज 1940 और 1960 के सरकारी दस्तावेज में (वक्फ) मस्जिद का सबूत है। 100 साल पुरानी मस्जिद की जर्जर हालत होने के बाद दोबारा से बनाया गया था।' उन्होंने कहा, 'ये शिमला संजौली मस्जिद का कानूनी दस्तावेज है, जिसे जनहित याचिका के उद्देश्य से मस्जिद समिति से प्राप्त किया है। ये स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मूल रूप से 1940 (1914) में अहले इस्लाम मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी (वक्फ द्वारा पंजीकृत) के लिए वक्फ थी और 1960 के भूमि पंजीकरण अधिनियम (खसरा-खतौनी) में (अहले इस्लाम) वक्फ संपत्तियों के तहत इसका दस्तावेजीकरण भी किया गया है। पहले इसे एकीकृत पंजाब वक्फ बोर्ड की ओर से प्रशासित किया जाता था, बाद में कानून के अनुसार अलग हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड का गठन किया गया।'
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उन्होंने सवाल उठाया कि 'फिर कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में झूठ क्यों बोला कि मस्जिद की जमीन सरकारी संपत्ति है? क्या कांग्रेस हाईकमान इस मंत्री पर गलत सूचना फैलाने के लिए कार्रवाई करेगा?'
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 25 September 2024 at 14:25 IST