अपडेटेड 28 August 2024 at 18:53 IST
फोन के मैसेज डिलीट करना है क्राइम? अगर आप भी करते हैं ऐसा काम तो... सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
Supreme Court में एक मामले में ये मुद्दा उठाया गया था कि लोग फोन के मैसेज डिलीट कर देते हैं, जिससे अपराधी बच जाते हैं।
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New Delhi: पूरी दुनिया में अपराधी को ढूंढने के लिए फोन एक अहम सबूत माना जाता है। जब भी कोई अपराध होता है तो पुलिस सबसे पहले आरोपियों के फोन खंगालती है और कई मामलों में अपराधी तक पहुंचना भी आसान हो जाता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये होता है कि अगर अपराधी मैसेज ही डिलीट कर दे तो उस तक कैसे पहुंचा जाए।
आपको बता दें कि CBI और ED ने BRS नेता के कविता के खिलाफ सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए। इस दौरान ये आरोप अहम था कि उन्होंने अपने फोन से मैसेज डिलीट कर दिए थे और अपने फोन को फॉर्मेट कर दिया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि समय-समय पर मैसेज डिलीट करना सामान्य व्यवहार है, और इसे तब तक आपराधिक कृत्य नहीं माना जा सकता जब तक कि अन्य सबूतों से इसकी पुष्टि न हो।
ये है मामला
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि कविता ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ किया है। वहीं, के कविता के वकील मुकुल रोहतगी ने इसपर विरोध जताते हुए कोर्ट के सामने ये बताया कि लोग फोन को खिलौने की तरह इस्तेमाल करते हैं और डिवाइस बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल ने नया अपग्रेडेड फोन लेते ही उसे फॉर्मेट कर दिया था और पुराना फोन अपने नौकर को दे दिया था, जो कोई अपराध नहीं है।
कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच ने रोहतगी की बात से सहमत होते हुए कहा कि लोग एक साथ कई फोन भी अपने पास रखते हैं। ऐसे में केवल मैसेज डिलीट करना और फोन फॉर्मेट करना अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि फोन एक प्राइवेट चीज है। मुझे भी अपने स्कूल और कॉलेज के ग्रुप से मैसेज डिलीट करने की आदात है। ऐसे में इसे अपराध नहीं माना जा सकता।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 28 August 2024 at 18:53 IST