अपडेटेड 19 December 2025 at 14:40 IST

Aravalli Hills: अरावली का खतरा कितना गंभीर, आखिर Save Aravalli कैंपेन क्यों पकड़ रहा जोर? जानिए सबकुछ

Save Aravalli Campaign: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अरावली पर्वतमाला को लेकर पर्यावरण विद और आम जनता चिंता में हैं। विशेषज्ञों मान रहे हैं कि अगर अरावली कमजोर हुई तो पर्यावरण संतुलन और आने वाली पीढ़ियों पर गंभीर असर पड़ेगा।

Follow : Google News Icon  
Save Aravalli Campaign
Save Aravalli Campaign | Image: X- @sandartistajay

Rajasthan news: राजस्थान ही नहीं 'अरावली बचाओ' (Save Aravalli) की मुहिम अब देशभर में चर्चाओं में है।  सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले ने इसको लेकर नई बहस छेड़ दी। इसके बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग इस कैंपेन से जुड़कर अरावली को बचाने की अपील कर रहे हैं। राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत इस मुहिम से जुड़ चुके हैं और उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर भी बदल ली। उन्होंने नागरिकों से भी इस कैंपेन में शामिल होने के लिए अपनी डिस्प्ले पिक्चर बदलने की अपील की। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है ये #SaveAravalli कैंपेन और क्यों इसे चलाया जा रहा है?

क्यों इतना जरूरी है अरावली?

अरावली उत्तर-पश्चिम भारत में स्थित दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। यह श्रृंखला लगभग 670 से 700 किलोमीटर लंबी है, जो गुजरात (अहमदाबाद के पास) से शुरू होकर राजस्थान और हरियाणा से गुजरती हुई दिल्ली तक फैली हुई है। इसका 80 फीसदी हिस्सा राजस्थान से ही गुजरता है। अरावली को राजस्थान की लाइफ लाइन भी कहा जाता है। ये पर्वत श्रंखला रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकती है, बारिश को थामती है और साथ में हवा में नमी भी बनाए रखती है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छिड़ी मुहिम

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा फैसला आया, जिसके बाद भविष्य को लेकर चिंताएं का विषय बन गई है। दरअसल, 20 नवंबर 2025 को अदालत ने केंद्र सरकार की कमेटी की सिफारिशें को स्वीकार किया। इसके तहत अब केवल 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली संरचनाओं को ही 'अरावली हिल' माना जाएगा। इससे नीचे के भूभाग को अब अरावली को पहाड़ी नहीं माना जाएगा। विशेषज्ञों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे लगभग 90% पहाड़ियां संरक्षण से बाहर हो सकती हैं, जिससे वहां अवैध खनन और निर्माण का रास्ता खुल जाएगा।

अरावली थार मरुस्थल (Desert) को बढ़ने से रोकती है। इसके नष्ट होने से धूल भरी आंधियां बढ़ेंगी, वायु प्रदूषण गहराएगा और भूजल का स्तर भी नीचे गिर सकता है। यह क्षेत्र तेंदुए, लकड़बग्घे और सैकड़ों पक्षी प्रजातियों का भी घर है। पहाड़ियों के कटने से वन्यजीवों का आवास सिमट रहा है।

Advertisement

Save Aravalli कैंपेन की शुरुआत

11 दिसंबर 2025 को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस पर पर्यावरणविदों और नागरिक समूहों ने मिलकर 'अरावली विरासत जन अभियान' शुरू किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर #SaveAravalli हैशटैग ट्रेंड करने। लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलकर इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। 

यह भी पढ़ें: G-RAM-G पर बवाल के बाद संसद में PM मोदी-प्रियंका गांधी और विपक्ष के बीच चाय पर क्या हुई चर्चा? सभी के चेहरे पर छाई गई मुस्कान
 

Advertisement

Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 19 December 2025 at 14:40 IST