अपडेटेड 24 December 2025 at 16:40 IST
Sameera khan: 9 साल की उम्र में मां को खोया फिर 6 साल बाद पिता गुजर गए, नहीं मानी हार; साइकिल से 37 देशों की यात्रा कर पहुंची बिहार
11 पर्वतों और 37 देशों की साइकिल से यात्रा करने के बाद समीरा खान लड़कियों को अब स्कूलों में जाकर जागरुक करती है। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी, कैसे उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया...
- भारत
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Sameera Khan cyclist Life Story: हर किसी का सपना होता है कि वो दुनियाभर में घूम सके। बात की जाए लड़कियों की तो भारत में कम ही लड़कियां होंगी जो दुनिया घूमने के अपने सपने को जी सके। कई बार भारत घूमने के दौरान ही उन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में विदेशों में घूमने के बारे में सोचने को लेकर ही हार मान ली जाती है और ये सोचकर की सुरक्षा कैसे मिलेगी और पैसे भी लगेंगे। लेकिन भारत की एक बेटी है जो न सिर्फ भारत घूमती है बल्कि अब तक 37 देशों की यात्री कर चुकी है वो भी साइकिल से...
ये सोचने से ही मन में तितलियां उड़ने लगती है। एक लड़की के लिए ये एक सपने जैसा है कि वो खुली हवा से बातें करते हुए आजादी से दुनिया घूमने निकले। जानते हैं आंधा प्रदेश की साइकिलिस्ट समीरा खान के बारे में जो स्कूलों में जाकर छात्राओं को प्रेरित भी करती है और उन्हें सपने देखने को कहती है, जानते हैं और क्या कहती है समीरा खान, क्या है उनकी कहानी...
जब बिहार पहुंची समीरा खान
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर की रहने वाली इंटरनेशनल पर्वतारोही और साइकिलिस्ट समीरा खान बिहार के नवादा पहुंचीं। कुंती नगर के मॉडर्न इंग्लिश स्कूल में छात्राओं से संवाद करते हुए उन्होंने आत्मनिर्भरता, साहस और बड़े सपने देखने की प्रेरणा दी। स्कूल पहुंचने पर छात्राओं ने पारंपरिक तिलक-चंदन लगाकर उनका स्वागत किया। भारत के कई राज्यों में उनका इसी तरह स्वागत किया जाता है।
क्या है समीरा खान की कहानी...
समीरा खान ने साइकिल से अब तक 37 देशों की यात्रा की है जिसमें- फ्रांस, जर्मनी, नॉर्वे, तुर्की, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल जैसे देश शामिल हैं। उन्होंने 11 ऊंचे पर्वतों पर चढ़ाई की कोशिश भी की है, जिसमें से 7 पर वो चढ़ने में सफल रही। नेपाल की 6,859 मीटर ऊंची अमा डबलाम चोटी उनकी प्रमुख उपलब्धि है। उनका अंतिम लक्ष्य माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना है। फिलहाल समीरा खान बालिका सशक्तिकरण अभियान चला रही हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में स्कूलों में जाकर छात्राओं को प्रेरित कर रही हैं।
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मां और पापा को खोया, लेकिन हार नहीं मानी
समीरा ने बताया कि 9 साल की उम्र में मां और 2015 में पिता को खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। 2018 में 'मिशन माउंट एवरेस्ट' के संकल्प के साथ साइकिल यात्रा शुरू की। भारत में साइकिलिंग चुनौतीपूर्ण है, जहां सुरक्षा और सामाजिक व्यवहार की समस्याएं सबसे ज्यादा आती हैं, लेकिन वे आगे बढ़ती रहीं।उन्होंने कहा- 'लड़कों की तरह लड़कियों को भी अवसर मिलना चाहिए। हम कमजोर नहीं, अपनी प्रतिभा से शक्तिशाली बन सकती हैं।'
लड़कियों को सपने देखने के लिए बोलती हैं समीरा
समीरा अपनी यात्राओं पर पुस्तक लिखने और छात्राओं के लिए संस्थान स्थापित करने की योजना बना रही हैं। बालिका सशक्तिकरण के संदेश के साथ समीरा खान साइकिलिंग के माध्यम से बालिका सशक्तिकरण का संदेश दे रही हैं। वह लड़कियों को बोलती हैं कि उन्हें सपने देखने चाहिए और लगातार आगे बढ़ना चाहिए। समीरा की कहानी संघर्षों से निकलकर सफलता पाने की मिसाल है। समीरा हर दिन 50-60 किमी साइकिल चलाती हैं। जिससे वह लड़कियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
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Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 24 December 2025 at 16:40 IST