अपडेटेड 30 November 2024 at 14:11 IST

कौन बिगाड़ना चाहता है संभल में शांति का माहौल? पहले तौकीर रजा अब सपा का प्रतिनिधिमंडल जाने पर अड़ा

संभल में सर्वे के विरोध की आड़ में पत्थर-गोलियां चलीं। सब कुछ तोड़ फेंकने पर उतारू हजारों की भीड़ थी और पुलिस से सामने था। इस भिड़ंत में 4 लोग बेमौत मर गए।

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sambhal jama masjid dispute
sambhal jama masjid dispute | Image: ANI/PTI

Sambhal Jama Masjid Violence: संभल में 6 दिन पहले हिंसा की चिंगारी किसने सुलगाई, वो अपने आप में एक सवाल है। हालांकि हिंसा के 6 दिन बाद जब संभल में शांति है तो सतही तौर पर इस माहौल को राजनीतिक पैंतरों के जरिए सुलगाने की कोशिशें हैं। संभल की हिंसा पर सियासत मचल रही है। वो ऐसे कि संवेदनशीलता के नजरिए से बाहरी लोगों के संभल में घुसने की मनाही है और राजनेता यहां घुसने पर आमादा हैं।

24 नवंबर को संभल में सर्वे के विरोध की आड़ में पत्थर-गोलियां चलीं। सब कुछ तोड़ फेंकने पर उतारू हजारों की भीड़ थी और पुलिस से सामने था। इस भिड़ंत में 4 लोग बेमौत मर गए। हिंसा वाली जगह पर शांति का पानी डालने की बजाय उस जगह को कुरेदने के लिए राजनेता अड़े हैं। स्थिति ये है कि पहले तौकीर रजा संभल में घुसने को आतुर थे और अब समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल यहां जाने की जिद किए बैठा है।

संभल जाने पर आमादा हैं सपा नेता

फिलहाल मामला समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की वजह से गरमाया है। सपा का एक डेलिगेशन संभल जाने की कोशिश में है, लेकिन प्रशासन ने जगह-जगह पार्टी के नेताओं को रोक रखा है। लखनऊ में सपा के प्रदेशाध्यक्ष श्याम लाल पाल को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया। सपा नेता माता प्रसाद पांडेय के घर पर पुलिस का पहरा है, ताकि वो संभल ना जा सकें। मुरादाबाद सांसद रुचि वीर को भी उनके घर में हाउस अरेस्ट किया गया है।

संभल जाने के लिए निकले मुजफरनगर सांसद हरेंद्र मलिक को गाजियाबाद में गाजीपुर बॉर्डर पर ही पुलिस ने रोक लिया। हरेंद्र मलिक ने कहा कि मेंबर ऑफ पार्लियामेंट को इंतजार करना पड़ेगा कि कब गाजियाबाद पुलिस के एसीपी मौके पर पहुंचेंगे, क्योंकि पुलिसकर्मियों की तरफ से उन्हें रोका गया है और कहा गया है कि एसीपी के आने के बाद ही ये क्लियर हो पाएगा कि वो आगे जाएंगे या नहीं। संभल से सांसद जिया उर रहमान को भी दिल्ली से अपने संसदीय क्षेत्र के लिए जाने नहीं दिया गया है। बरेली में कुछ कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है, जो संभल जाने की तैयारी में थे।

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सपा संभल भेज रही है अपना प्रतिनिधिमंडल

समाजवादी पार्टी के नेता हुंकार भर रहे हैं कि वो संभल जाएंगे और हर हाल में संभल जाकर रहेंगे। इसके लिए 15 नेताओं को चुना गया है। सपा के प्रतिनिधिमंडल की कमान यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को गई। इस प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल भी शामिल हैं। इसके अलावा संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, संभल विधायक इकबाल महमूद, कैराना की सांसद इकरा हसन, मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा और विधायक रविदास मेहरोत्रा समेत कुल 15 नेताओं का डेलिगेशन संभल जाना चाहता है, जो घटनास्थल पर जाकर हिंसा में मरने वाले लोगों के परिजनों से मिलना चाहता है। हालांकि प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।

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पुलिस ने जगह-जगह क्यों रोके सपा नेता?

जिला प्रशासन की ओर से 29 नवंबर को जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी बाहरी, अन्य सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि के प्रवेश को प्रतिबंधित किया गया है। जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया की ओर से जारी आदेश में ये भी बताया गया है कि 24 नवंबर को हुए पथराव, आगजनी और गोलीबारी की घटना के बाद संभल का माहौल अति संवेदनशील है। संवेदनशीलता के मद्देनजर संभल जिले की सीमा में बाहरी लोगों की एंट्री बिना अनुमति के 10 दिसंबर तक प्रतिबंधित रहेगी।

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अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा

सपा के डेलिगेशन को संभल जाने से रोकने पर अखिलेश यादव भड़के हैं और उन्होंने सरकार पर हमला बोला है। अखिलेश यादव लिखते हैं- 'प्रतिबंध लगाना बीजेपी सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता। बीजेपी जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए। किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए। बीजेपी हार चुकी है।'

सपा नेताओं को बीजेपी का जवाब

सपा नेताओं को बीजेपी भी जवाब दे रही है। बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं- 'संभल में स्थिति संवेदनशील है और वहां निषेधाज्ञा लागू है। स्थानीय प्रशासन स्थिति को सामान्य बनाने में लगा हुआ है। माता प्रसाद पांडे और समाजवादी पार्टी को भी अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। परिस्थिति के सामान्य होने का इंतजार करना चाहिए। सपा की नीयत पर शक होता है, क्योंकि उनके प्रतिनिधिमंडल में संभल की हिंसा को भड़काने का आरोपी सांसद जियाउर रहमान बर्क भी शामिल है, वहां जाकर वो क्या बयान देंगे।'

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक कहते हैं- 'समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। संभल की घटना समाजवादी पार्टी के संरक्षित अपराधियों की देन है। जो संभल के अपराधी हैं, वो सब समाजवादी हैं। अखिलेश यादव को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।' 

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं- ‘उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जो करारी हार हुई है, जो जख्म लगा है उसे वो भूला नहीं पा रहे। समाजवादी पार्टी की ओर से वहां प्रतिनिधिमंडल भेजना एक नौटंकी है, वोटबैंक साधने की राजनीति है।’

तौकीर रजा भी कर चुके हैं कोशिश

समाजवादी पार्टी से पहले बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने भी संभल जाने की कोशिश की। मौलाना ने संभल जाने से पहले हिंसा में मारे गए उपद्रवियों को शहीद कहा था और बोला कि हमारे बच्चे जो कि वहां शहीद हुए हैं उनके परिजनों से मुलाकात करने जा रहा हूं। तौकीर रजा ने अपने बयान में कहा था कि मस्‍जिद की दोबारा सर्वे की कोई जरूरत नहीं थी। कुछ हिंदूवादी जो कि मजहबी नारे लगा रहे थे। जूते पहन के मस्जिद में दाखिल हुए। संभल में अमन बनाए रखने के लिए संभल का माहौल ठीक करने के लिए मैं चाहता हूं मैं वहां जाऊं और लोगों को समझाऊं। मौलाना तौकीर रजा संभल जाने की बात करते हुए बरेली के मुस्‍लमानों को भड़काते हुए दिखे। हालांति बाद में पुलिस ने तौकीर रजा को हिरासत में ले लिया था।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 30 November 2024 at 13:37 IST