अपडेटेड 29 August 2025 at 00:14 IST
75 साल में रिटायरमेंट,इस्लाम और BJP-RSS मतभेद पर खुलकर बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत, कहा- 'मैंने कभी नहीं कहा...'
दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक सवाल के जवाब में ऐसा बयान दिया, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। सवाल था, "75 साल के बाद क्या राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए?"
- भारत
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Mohan Bhagwat on Retirement : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय संघ सेवक (RSS) के 100 साल पूरे होने पर आयोजित 3 दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने घुसपैठ, डेमोग्राफी चेंज, रिटायरमेंट, मथुरा-काशी और हिंदू राष्ट्र जैसे कई मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के बाद उनके राजनीति से संन्यास लेने की अटकलों को संघ प्रमुख ने खारिज कर दिया है।
मोहन भागवत ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं 75 साल की उम्र में रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर होना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि जब तक कोई काम कर सके उसे काम करना चाहिए। सरसंघचालक से सवाल किया गया था कि 75 साल के बाद क्या राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए? इस पर मोहन भागवत ने बड़े ही चतुराई भरे अंदाज में जवाब दिया।
मोहन भागवत ने साफ कर दिया है कि वो रिटायर होने की जल्दी में नहीं हैं। उनके इस बयान ने सियासी गपशप को थोड़ा और मसालेदार बना दिया। सोशल मीडिया पर भी इस बयान की खूब चर्चा हुई। भागवत ने अपने बयान में रिटायरमेंट की बात को ना सिर्फ टाल दिया, बल्कि ये भी जता दिया कि वो और संघ एक-दूसरे के लिए 'हमेशा तैयार' हैं। यानी, चाहे उम्र 75 हो या 175, संघ का काम रुकने वाला नहीं!
'BJP-RSS में मतभेद नहीं'
RSS प्रमुख ने BJP और संघ के बीच मतभेद को लेकर साफ कहा कि बीजेपी और संघ के रिश्ते अटूट हैं। हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद कभी नहीं। भागवत ने बीजेपी के नए अध्यक्ष की देरी पर भी हल्की चुटकी ली और साफ कहा कि हम सरकार नहीं चलाते, हम तो सिर्फ सुझाव देते हैं।
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हिंदू-मुस्लिम पर बयान
इसके अलावा भागवत ने जनसंख्या नीति पर भी बात की, जनसंख्या नीति पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हम दो और हमारे तीन की नीति होनी चाहिए। हिंदू-मुस्लिम एकता पर संघ प्रमुख ने कहा नाम और शब्दों के झगड़े में हम नहीं पड़ते। इन शब्दों के कारण हिंदू-मुस्लिम की भावना आ गई है। हिंदू-मुस्लिम एकता की जरूरत नहीं है, ये तो पहले से एक हैं।
हालांकि, मोहन भागवत ने भारत में बदलती डेमोग्राफी पर चिंता जताते हुए कहा कि ये बदलती है तो देश का बंटवारा होता है। धर्म अपनी चॉइस है। लोभ-लालच से धर्म नहीं बदला जाना चाहिए, इसे रोकना है।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 29 August 2025 at 00:14 IST