अपडेटेड 22 January 2024 at 19:29 IST

जब राम मंदिर में खुद अवतरित हुए थे राम... मुस्लिम कॉन्स्टेबल ने कोर्ट में बताई थी अनसुनी कहानी

Ayodhya News: अयोध्या विवाद के बीच 75 साल पहले भी राम मंदिर में राम अवतरित हुए थे। मुस्लिम कॉन्स्टेबल ने भी इस बारे में कोर्ट में बयान दिया था।

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Ram Mandir Ayodhya 75 years history
जब राम मंदिर में अचानक रामलला की प्रतिमा अवतरित हो गई थी | Image: X/@ShriRamTeerth

Ayodhya News: अयोध्या विवाद 500 साल से भी पुराना है। इस विवाद के अदालत में पहुंचने के बाद भी रामभक्तों को काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इस दौरान कई दिव्य गाथाएं भी सामने आईं, जिसे अलौकिक बताया गया। उनमें से एक दिसंबर 1949 की भी घटना है, जिसके बारे में मुस्लिम कॉन्सटेबल ने कोर्ट में दिए अपने बयान में जिक्र किया था। उसने भगवान राम के अवतरण का वो किस्सा सुनाया था, जिसने सबको चौंका दिया था।

यह घटना 23 दिसंबर 1949 की है, जब अयोध्या में तत्कालीन विवादित ढांचे के अंदर अचानक रामलला की प्रतिमा अवतरित हो गई थी। राम भक्तों का एक बड़ा समूह 'प्रकट कृपाला दीन दयाला' के नारे के साथ सुबह-सुबह वहां पहुंच गया। बताया जाता है कि रामभक्त रामलला के अवतरण को अलौकिक मान रहे थे, जिसको एक मुस्लिम कॉन्सटेबल अब्दुल बरकत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में प्रमाणित भी कर दिया था।

मुस्लिम कॉन्सटेबल अब्दुल बरकत ने क्या कहा था?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, लखनऊ हाईकोर्ट बेंच के साल 1987 के केस नंबर 29 में अब्दुल बरकत के नाम का जिक्र मिलता है। जज देवकी नंदन ने कोर्ट के सामने अब्दुल बरकत के बयान के जिस वर्जन को पेश किया था, उसमें बताया गया था-

उस रात ड्यूटी पर रहते हुए उसने बाबरी मस्जिद के अंदर दिव्य प्रकाश की एक चमक देखी। धीरे-धीरे वह रोशनी सुनहरी हो गई और उसमें उसे चार-पांच साल के एक अत्यंत सुंदर देवतुल्य बालक की आकृति दिखाई दी, जैसा उसने अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा था। इस दृश्य ने उसे अचेत कर दिया और जब उसे होश आया तो उसने देखा कि मस्जिद के मुख्य द्वार का ताला टूटा हुआ था और हिंदुओं की एक बड़ी भीड़ इमारत में प्रवेश कर गई थी और मूर्ति की आरती कर रही थी।

आपको बता दें कि BJP के पूर्व राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज ने अपनी किताब 'ट्रिस्ट विद अयोध्या (Tryst With Ayodhya)' में भी इस घटना का जिक्र किया है। इस घटना को लेकर कई विवाद हुए। इस दौरान ये भी कहा गया कि एक मुस्लिम कॉन्सटेबल की इसमें क्या मंशा हो सकती है। उसने तो वही कहा, जो उसने महसूस किया।

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जिसका कोई तर्क न हो, असली विश्वास वही है...

प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक वोल्टेयर ने कहा था कि जो तर्क की शक्ति से परे हो, असली विश्वास उसी में निहित होता है। अयोध्या में भी उस वक्त ऐसी ही स्थिति थी। भगवान के अवतरण को अलौकिक मानते हुए लोगों का उत्साह और भी अधिक बढ़ गया। इससे पहले राम मंदिर को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे, जैसे हिंदू कैसे साबित करेंगे कि राम मंदिर वहीं था? लेकिन, 22-23 दिसंबर 1949 की घटना ने उन रामभक्तों की भक्ति को और भी अधिक मजबूत करने का काम किया। 

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 22 January 2024 at 19:29 IST