अपडेटेड 30 January 2025 at 13:04 IST
राजस्थान: लिव-इन रिश्ते के पंजीकरण के लिए वेबसाइट शुरू करने के निर्देश
राजस्थान उच्च न्यायालय की एक एकल पीठ ने प्रदेश में 'लिव-इन-रिलेशनशिप' के पंजीकरण के लिए राज्य को एक वेबसाइट शुरू करने का निर्देश दिया है।
- भारत
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Rajasthan: राजस्थान उच्च न्यायालय की एक एकल पीठ ने प्रदेश में 'लिव-इन-रिलेशनशिप' के पंजीकरण के लिए राज्य को एक वेबसाइट शुरू करने का निर्देश दिया है।
उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किए जाने का संदर्भ देते हुए पीठ ने कहा कि केंद्र और राजस्थान राज्य को लिव-इन रिलेशनशिप के 'संकट' के समाधान की दिशा में सकारात्मक रूप से सोचना चाहिए। न्यायमूर्ति अनूप ढंड की अदालत की यह व्यवस्था, घर से भागे उन जोड़ों को सुरक्षा देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर आई है जो 'लिव-इन रिलेशनशिप' के लिए अपने परिवार और समाज से सुरक्षा चाहते हैं।
पीठ ने कहा, "कई जोड़े 'लिव-इन-रिलेशनशिप' में रह रहे हैं। अपने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किए जाने के कारण उन्हें अपने परिवारों तथा समाज के अन्य लोगों से खतरा है। इसलिए वह लोग रिट याचिका दायर कर अदालतों से अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। अदालतों में ऐसी याचिकाओं की बहुतायत है। ऐसे जोड़ों के समक्ष आने वाले खतरों से उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की इसी तरह की प्रार्थना वाली दर्जनों याचिकाएं प्रतिदिन प्रस्तुत की जा रही हैं।"
अदालत ने कहा, ‘‘रिश्ते में रहने का विचार अनोखा और आकर्षक लग सकता है, लेकिन इससे उत्पन्न होने वाली समस्याएं कई हैं और चुनौतीपूर्ण हैं। ऐसे रिश्ते में महिला की स्थिति पत्नी जैसी नहीं होती तथा उसके लिए सामाजिक स्वीकृति या पवित्रता का अभाव होता है।’’
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पीठ ने निर्देश दिया "लिव-इन-रिलेशनशिप समझौते को सरकार द्वारा स्थापित सक्षम प्राधिकारी/ट्रिब्यूनल द्वारा पंजीकृत किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा उपयुक्त कानून बनाए जाने तक, सक्षम प्राधिकारी को इसे पंजीकृत करना चाहिए। राज्य के प्रत्येक जिले में ऐसे लिव-इन-रिलेशनशिप के पंजीकरण के मामले को देखने के लिए एक समिति गठित की जाए जो ऐसे जोड़ों/दंपत्तियों की शिकायतों पर ध्यान देगी और उनका निवारण करेगी। इस संबंध में एक वेबसाइट या वेबपोर्टल शुरू किया जाए ताकि इस तरह के संबंधों के कारण होने वाली दिक्कतों का समाधान किया जा सके।"
पीठ ने आदेश की एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव तथा न्याय एवं समाज कल्याण विभाग, नई दिल्ली के सचिव को भेजने का निर्देश दिया ताकि इस अदालत द्वारा जारी आदेश/निर्देश के अनुपालन हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा सके। साथ ही अदालत ने एक मार्च 2025 तक या उससे पहले इस अदालत के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों से इस अदालत को अवगत कराने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने इस मुद्दे को वृहद पीठ को रेफर किया है कि 'क्या एक विवाहित व्यक्ति, जो अपने वैवाहिक संबंध को खत्म किए बिना, एक अविवाहित व्यक्ति के साथ रह रहा है और क्या दो अलग-अलग विवाहों वाले दो विवाहित व्यक्ति, अपने वैवाहिक संबंधों को खत्म किए बिना, लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे हैं, वे न्यायालय से संरक्षण आदेश प्राप्त करने के हकदार हैं?'
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Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 30 January 2025 at 13:04 IST