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Published 10:35 IST, November 28th 2024

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर अब मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज आए सामने, कहा-धार्मिक संगठन...

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर अब मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने केद्र सरकार से बड़ी अपील भी की है।

Reported by: Rupam Kumari
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Syed Nasruddin Chishti
Syed Nasruddin Chishti | Image: ANI

उत्तर प्रदेश के जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुए बवाल अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि राजस्थान के अजमेर शरीफ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर नया बवाल शुरू हो गया है। दरअसल, दरगाह में शिव मंदिर का दावा करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। स्थानीय अदालत द्वारा नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं,इसे लेकर बवाल शुरू हो गया है। पूरे मामले पर सैयद नसरुद्दीन चिश्ती की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है।

राजस्थान के अजमेर शरीफ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर के दावे को लेकर कोर्ट में दाखिल की गई याचिका स्वीकार कर ली गई।  इसके साथ ही सभी पक्षकारों को हाजिर होने की नोटिस भी दी है। कोर्ट के नोटिस जारी होते ही दोनों पक्षों की ओर से बयानबाजी भी शुरू हो गई। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाया है।

ये हमारे समाज और देश के हित में नहीं-नसरुद्दीन चिश्ती 

सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, एक है दरगाह समिति, ASI और तीसरा अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय। मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं, लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है। हम अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं। देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है। अजमेर का 850 साल पुराना इतिहास है। मैं भारत सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील करता हूं। एक नया कानून बनाया जाना चाहिए और दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि कोई भी इन जैसे धार्मिक संगठनों पर दावा न कर सके।

5 दिसंबर को मामले की सुनवाई 

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम ने सुनने योग्य माना है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है। कोर्ट ने मामले में 5 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।
 

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Updated 10:35 IST, November 28th 2024