अपडेटेड 3 July 2024 at 09:53 IST
मोदी बोले-'कांग्रेस परजीवी हो गई है'...क्या हैं वो आंकड़े, जब राहुल को सहयोगियों का सहारा लेना पड़ा
इसमें कोई दोराय नहीं है कि कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता से है। कांग्रेस के इतिहास का ये पहला मौका है, जब लगातार तीन बार पार्टी 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई।
- भारत
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'2024 के चुनाव में कांग्रेस के लिए भी इस देश की जनता ने जनादेश दिया है और इस देश की जनादेश है कि आप वहीं बैठिए, विपक्ष में ही बैठो और तर्क खत्म हो जाएं तो चीखते रहो, चिल्लाते रहो।' ये शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं, जिन्होंने लोकसभा में बीते दिन कांग्रेस की बखिया उधेड़कर रख दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को 'परजीवी' की एक नई संज्ञा दी। यही नहीं, आंकड़ों के जरिए प्रधानमंत्री ने सदन में कांग्रेस को 'परजीवी' बताने के पीछे के कारणों की व्याख्या भी की।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता से दूर हो गई है। कांग्रेस के इतिहास का ये पहला मौका है, जब लगातार तीन बार कांग्रेस 100 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। इसे ये भी कह सकते हैं कि कांग्रेस के इतिहास में ये तीसरी सबसे बड़ी हार है। तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। पिछले 10 साल के स्ट्राइक रेट और फिर सहयोगियों के सहारे कांग्रेस की जीवित रहने की कोशिश के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस 'परजीवी' कह रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री ने सदन के माध्यम से देश के सामने कांग्रेस के आंकड़े रखे हैं।
कांग्रेस का स्ट्राइक रेट क्या कहता है?
सदन में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जहां-जहां बीजेपी और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था या जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी और साथी के पास 1-2-3 सीटें थीं, वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 26 पर्सेंट है। लेकिन जहां किसी का पल्लू पकड़कर चलते थे, जहां वो (कांग्रेस) जूनियर पार्टनर थे, किसी दल ने उनको कुछ दे दिया। उन राज्यों में कांग्रेस जहां जूनियर पार्टनर थी, उनका स्ट्राइक रेट 50 पर्सेंट है। कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने उनको जितवाई हैं। इसलिए मैं कहता हूं ये परजीवी कांग्रेस है।'
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कैसे सहयोगियों का सहारा लेकर पनपी कांग्रेस?
नरेंद्र मोदी आगे कहते हैं कि 16 राज्यों में जहां कांग्रेस अकेले लड़ी, वहां उसका वोटर शेयर इस चुनाव में गिर चुका है। गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इन तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से सिर्फ 2 सीट जीत पाई है। इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर उन्होंने चढ़कर के सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है। अगर कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं वो अगर ना खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था।
'कांग्रेस परजीवी बन चुकी है'
प्रधानमंत्री कहते हैं कि अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस पार्टी के रूप से जानी जाएगी। 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर पर उस शरीर के साथ रहता है, ये परजीवी उसी को ही खाता है। कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसलिए कांग्रेस परजीवी कांग्रेस बन चुकी है।
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Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 3 July 2024 at 09:53 IST