अपडेटेड 26 June 2024 at 10:24 IST

प्रोटेम स्पीकर से Speaker तक... NDA को चुनौती देने वाले के सुरेश कौन हैं? जिनपर INDI ने खेला दांव

प्रोटेम स्पीकर के बाद INDI ने स्पीकर के लिए के सुरेश पर इंडी अलायंस की ओर से दांव खेला गया। कौन हैं ये जो खुद ही कहते हैं कि नंबरगेम मुद्दा नहीं है!

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om birla vs k suresh
स्पीकर पद के लिए ओम बिरला बनाम के सुरेश | Image: x/newparliament/birla and suresh

Om Birla Vs K Suresh:  भर्तृहरी महताब बतौर प्रोटेम स्पीकर अनाउंस हुए तो इंडी गठबंधन ने बवाल मचा दिया। नीति, परम्परा और इतिहास याद दिलाने लगा। हल्ला मचाया कि इस पद के लिए के सुरेश का चुनाव किया जाए। बात नहीं बनी तो  इसका विरोध भी किया। इसके बाद घोषणा स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष की ओर से हुई तो तरकश से फिर के सुरेश नाम का तीर निकाल दिया।

सुरेश कांग्रेस सांसद हैं और केरल की मवेलीकारा सीट से जीतकर आए हैं। सुरेश आठवीं बार सांसद बने हैं। बुधवार 26 जून को इतिहास खुद को 48 साल बाद दोहराएगा जब स्पीकर पद के लिए इलेक्शन होगा। एनडीए के ओम बिरला बनाम इंडी अलायंस के के सुरेश।

के सुरेश बोले संख्या नहीं परंपरा अहम

1952 और 1976 के बाद देश दो दिग्गजों को आमने-सामने खड़ा देखेगा। केंद्र सरकार का उम्मीदवार बनाम विपक्षी खेमे का उम्मीदवार। नंबर गेम की बात करें तो वो सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में है। इंडी अलायंस भी ये जानता है तो फिर आखिर क्यों ऐसा किया। इसका जवाब के सुरेश देते हैं। कहते हैं- “संख्या कोई मुद्दा नहीं है बल्कि एकमात्र मुद्दा परंपरा है-सत्तारूढ़ पार्टी, NDA ने परंपरा को तोड़ा है। इसीलिए हम (चुनाव) लड़ रहे हैं...”

के सुरेश कौन?

कांग्रेस के दिग्गज नेता और आठ बार सांसद रह चुके सुरेश को अपने जाति प्रमाण पत्र को लेकर लगे आरोपों के कारण पहले भी चुनावी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था,  बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। वे 2024 के चुनावों में केरल के मवेलीकारा निर्वाचन क्षेत्र से जीते हैं। 4 जून 1962 को जन्मे सुरेश वकील हैं।

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62 वर्षीय सुरेश ने केरल के मवेलीकारा(एससी) निर्वाचन क्षेत्र से मात्र 10,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उनका पहला नाम तिरुवनंतपुरम के कोडिकुन्निल से लिया गया है, जहाँ उनका जन्म 4 जून, 1962 को हुआ था। सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए और फिर 1991, 1996 और 1999 के चुनावों में फिर से चुने गए। वे 1998 और 2004 में चुनाव हार गए।

2009 में, उन्होंने फिर से जीत हासिल की, लेकिन उनकी जीत को उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ने चुनौती दी, जिन्होंने आरोप लगाया कि सुरेश ने एक फ़र्जी जाति प्रमाण पत्र पेश किया और वे ईसाई थे। केरल उच्च न्यायालय ने उनके चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया।

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एलएलबी  डिग्रीधारक सुरेश ने 2014, 2019 और हाल ही में संपन्न 2024 के चुनावों में फिर से जीत हासिल की। ​​उन्होंने अक्टूबर 2012 से 2014 तक श्रम राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। वे कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं और अतीत में केरल के लिए कांग्रेस राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।

ओम बिरला बनाम के सुरेश

ओम बिरला इससे पहले 17वीं लोकसभा के लिए भी स्पीकर थे। पलड़ा उनका भारी है। नंबर गेम उनके पक्ष में जाता दिख रहा है। एक बार फिर वो एनडीए उम्मीदवार हैं। अगर बिरला जीतते हैं तो वे बीजेपी के ऐसे पहले नेता होंगे जो लगातार दूसरी बार स्पीकर चुने गए। इनसे पहले कांग्रेस के बलराम जाखड़ के नाम ये उपलब्धि थी।

ओम बिरला बनाम के सुरेश

नंबर गेम समझते हैं

लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को निचली सदन के सदस्य साधारण बहुमत से चुनते हैं। नियम के मुताबिक इसमें सदन में मौजूद सांसदों का 50 फीसदी से ज्यादा वोट जिस प्रत्याशी को मिलेगा वो स्पीकर चुन लिया जाएगा।

18 वीं लोकसभा की बात करें तो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है। लोकसभा की सीटें 543 हैं। वायनाड सीट खाली है। तो 7 सांसद ऐसे हैं जिन्हें अभी लोकसभा में शपथ नहीं ली है, इसलिए ये सांसद वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे। तो इस तरह सदन में कुल सांसदों की संख्या घटकर 535 हो जाएगी। बहुमत के लिए 268 सांसदों का समर्थन जरूरी है।

एनडीए का पलड़ा भारी है क्योंकि इसके पास 293 सदस्य हैं। यानि बहुमत से काफी ज्यादा संख्या। वहीं, इंडी ब्लॉक को 233 सदस्यों का समर्थन है। जो 7 सांसद शपथ लेने से बच गए हैं, उनमें INDI ब्लॉक के पांच सांसद हैं। इस तरह समर्थन करने वाले सांसदों की संख्या 226 रह जाएगी।

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Published By : Kiran Rai

पब्लिश्ड 26 June 2024 at 10:15 IST