अपडेटेड 7 July 2025 at 21:36 IST

Premanand Maharaj: सच्चे प्रेम की 3 निशानियां क्या हैं? प्रेमानंद महाराज ने बताया

प्रेमानंद महाराज ने सच्चे प्रेम की 3 निशानियां बताईं, जिसमें त्याग, स्थिरता और निस्वार्थ भाव से समर्पण हो। ऐसे बनते हैं संबंध बहतर।

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Premanand Maharaj
प्रेमानंद महाराज | Image: X

Premanand Maharaj love signs: संत प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में एक प्रवचन में सच्चे प्रेम की 3 निशानियां बताईं। उन्होंने कहा कि जब हम किसी को अपना 'प्यारा' मानते हैं, तो यह सिर्फ एहसास तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें समर्पण, लगातार साथ बिना शर्त और निस्वार्थता शामिल होती है। 

1. समर्पण (Unconditional Surrender)

महाराज के अनुसार, असली प्रेम वही है जिसमें व्यक्ति दूसरे की कमियों, गलतियों और कमजोरियों के बावजूद उसी के साथ बना रहता है। प्रेम में तनिक बदलाव होने पर यदि साथ छूट जाए, तो वह प्रेम नहीं, स्वार्थ है।

2. निरंतरता (Consistency & Steadfastness)

प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि प्रेम का सही रूप वह है जो संकट, समय की कठिनाइयों या परिस्थितियों में भी स्थायी रहे। ‘प्रभु के प्रति समर्पण’ का उदाहरण देते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि सच्चा प्रेम हमेशा अडिग रहता है।

3. नि-स्वार्थता (Selflessness)

प्रेम की तीसरी निशानी है निस्वार्थ भाव, जहां व्यक्ति अपने प्रिय की खुशी में स्वयं को भूल जाए। महाराज ने कहा कि सच्चा प्रेम ‘प्राण त्याग’ तक पहुंचता है और स्वार्थ और अपेक्षाओं से मुक्त होता है। प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि, स्वार्थ युक्त संबंध अक्सर परिवर्तनशील परिस्थितियों में टूट जाते हैं। ईश्वर के प्रति भक्ति का मार्ग भी इसी पूर्ण प्रेम से होकर गुजरता है। अगर हम इन 3 गुणों को अपने संबंधों में अपनाएं, तो व्यक्तिगत जीवन और आध्यात्मिकता दोनों में संतुलन बना रहता है। 

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आत्मा को पहचानने वाला कर सकता सच्चा प्रेम 

प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, आजकल बहुत से लोग जिन्हें प्रेम कहते हैं, वह दरअसल मोह या किसी स्वार्थ का रूप होता है। महाराज स्पष्ट करते हैं कि जब तक कोई व्यक्ति आपकी रूप-रंग, योग्यता या सुविधा से प्रसन्न है, वह आपसे प्रेम का दिखावा करता है। लेकिन जैसे ही परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं, वही व्यक्ति आपसे दूर हो जाता है। यही कारण है कि उन्होंने अपने प्रवचन में कहा- 'जो तुम्हें जानता ही नहीं, वह तुमसे प्रेम कैसे कर सकता है?' इस कथन के पीछे गहरी आध्यात्मिक समझ है। सच्चा प्रेम सिर्फ वही कर सकता है जो आपकी आत्मा को पहचानता है, न कि सिर्फ शरीर या बाहरी गुणों को।

प्रभु ही हैं सच्चे प्रेमी और मित्र

प्रेमानंद जी महाराज यह भी बताते हैं कि इस संसार में सिर्फ एक ही ऐसा साथी है जो सच्चे अर्थों में निस्वार्थ प्रेम करता है, और वह हैं स्वयं प्रभु। वे न हमारे गुण देखते हैं, न दोष। हमारे सबसे बड़े अपराध पर भी उनका प्रेम कम नहीं होता। उनका कहना है कि, 'प्रभु हमारे शरीर से नहीं, हमारे अस्तित्व से प्रेम करते हैं।' महाराज यूथ को यह संदेश देते हैं कि जब सभी संबंध विफल हो जाएं, तब प्रभु का साथ ही जीवन का सबसे बड़ा सहारा बनता है। इसलिए जीवन में सच्चा संतोष और प्रेम सिर्फ ईश्वर से जुड़कर ही संभव है।

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(प्रेमानंद महाराज के हालिया प्रवचन से यह लेख लिखा गया है। व्यक्तिगत अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं।) 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 7 July 2025 at 21:36 IST