अपडेटेड 9 August 2024 at 17:05 IST
कौन था वो DM जिसने 2 बार नेहरू के आदेशों को अनदेखा किया? जिसका नाम लेने से संसद में बचते दिखे अखिलेश
लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की खिलाफत के दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जिस जिलाधिकारी का नाम लेने से बच रहे थे, उनका नाम था केके नायर।
- भारत
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गुरुवार (8 अगस्त) को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया। बिल पेश करने के दौरान विपक्षी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया। जब केंद्रीय मंत्री किरेन रीजिजू इस बिल को पेश कर रहे थे तो विपक्षी नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया। इसी विरोध के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया और कन्नौज से लोकसभा सांसद अखिलेश यादव ने कहा, 'बिल में जिस तरह से जिलाधिकारी को सारे अधिकार दिए जा रहे हैं, वो गलत है। मैं इतिहास में नहीं जाना चाहता की किस तरह से एक जिलाधिकारी ने क्या किया था? जिसका दंश अभी तक की पीढ़ियों को झेलना पड़ रहा है।'
इस वाक्य में अखिलेश यादव ने जिस जिलाधिकारी का जिक्र किया है वो कौन हैं? आइए आपको बताते हैं उनके बारे में। लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की खिलाफत के दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव जिस जिलाधिकारी का नाम लेने से बच रहे थे, उनका नाम था केके नायर। केके नायर कौन थे? ये शायद मौजूदा पीढ़ियों के नौजवानों को कम पता हो लेकिन राम मंदिर के लिए किए गए संघर्षों में जिन बड़े सूरमाओं का नाम आता है उन्हीं में से एक केके नायर भी हैं। केके नायर ने अपने फैसले से एक बड़े हिन्दूवादी चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
नेहरू के आदेश को एक नहीं दो-दो बार किया खारिज!
केके नायर वो जिलाधिकारी हैं जिन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आदेश को एक नहीं बल्कि दो-दो बार मानने से इनकार कर दिया था। आजादी के दो साल बाद 22 और 23 दिसंबर साल 1949 की रात को अयोध्या में बाबरी मस्जिद में एक चमत्कार हुआ जिसके फलस्वरूप वहां भगवान राम की मूर्तियां प्रकट हुई थीं। जब इस बात की खबर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को हुई तो उन्होंने वहां के डीएम केके नायर को चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने लिखा था कि उन मूर्तियों को तत्काल प्रभाव से वहां से हटवा दो।
केके नायर ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की चिट्ठियों की अनदेखी की
पहली चिट्ठी आने के बाद केके नायर ने नेहरू के पत्र की अनदेखी कर दी। इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक बार फिर जिलाधिकारी केके नायर को एक और चिट्ठी लिखी। इस बार भी चिट्ठी में नेहरू ने नायर का वही आदेश दिया था कि बाबरी मस्जिद से भगवान राम की मूर्तियों को हटा दो। इस बार भी नायर ने नेहरू की चिट्ठी को अनदेखा किया और मस्जिद से मूर्तियां नहीं हटवाईं। अगर नायर ने वहां से मूर्तियां हटवा दीं होती तो शायद आज अयोध्या का राम मंदिर नहीं बन पाया होता। इसी वजह से केके नायर को एक बड़े हिन्दूवादी चेहरे के तौर पर देखा जाता है। यही वजह है कि संसद में वक्फ बोर्ड के संशोधन बिल के विरोध के दौरान अखिलेश यादव केके नायर का नाम नहीं ले रहे थे।
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वक्फ बिल संशोधन के विरोध में क्या बोले थे अखिलेश यादव?
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध करते हुए सपा के मुखिया ने कहा,' ये बिल धार्मिक आजादी के खिलाफ है। वक्फ बोर्ड में गैर मु्स्लिम को शामिल करने का क्या औचित्य है? सच्चाई ये है कि भाजपा अपने हताश, निराश, चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टिकरण के लिए ये बिल ला रही है।'
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 8 August 2024 at 23:19 IST