अपडेटेड 21 February 2025 at 14:16 IST
तमिलनाडु: उदयनिधि का प्रधान पर पलटवार, कहा- तमिलनाडु दो भाषा नीति का पालन करेगा
तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शुक्रवार को नयी शिक्षा नीति विवाद के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर पलटवार किया।
- भारत
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Tamil Nadu: तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शुक्रवार को नयी शिक्षा नीति (एनईपी) विवाद के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्य केवल दो-भाषा नीति का पालन करेगा। धर्मेंद्र प्रधान ने इससे पहले शिक्षा नीति को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर हमला बोला था। तमिलनाडु और केंद्र सरकार राज्य में नयी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर आमने-सामने हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है।
उदयनिधि ने कहा कि राज्य केंद्र से केवल अपने द्वारा चुकाए गए करों से मिलने वाले हिस्से की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम अपना हिस्सा, लगभग 2150 करोड़ रुपये मांग रहे हैं। वे (केंद्र) चाहते हैं कि हम एनईपी और तीन-भाषा नीति को स्वीकार करें। तमिलनाडु हमेशा से तीन-भाषा नीति का विरोध करता रहा है, इसलिए इस मुद्दे पर राजनीति करने के लिए है ही क्या।” द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता ने संवाददाताओं से कहा, “शिक्षा तमिलों का अधिकार है, कृपया समझिये की राजनीति कौन कर रहा है।” स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र प्रायोजित दो पहलों समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है।
धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन पर साधा था निशाना
इससे पहले प्रधान ने एनईपी के कार्यान्वयन पर जारी विवाद को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधा था और उन पर ‘राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील सुधारों को खतरे में डालने’ का आरोप लगाया था। प्रधान ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर छात्रों के हितों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से उन्हें लाभ होगा। शिक्षा मंत्री स्टालिन द्वारा बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब दे रहे थे।
प्रधान ने स्टालिन को लिखे अपने पत्र में कहा, “प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र मोदी सरकार द्वारा प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।”
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 21 February 2025 at 14:16 IST