अपडेटेड 4 April 2025 at 00:30 IST
Waqf Bill को लेकर राज्यसभा में सुधांशु त्रिवेदी की दो टूक, बोले- मजहबी हुकूमत नहीं बाबा साहेब के संविधान से चलेगा देश
Waqf Bill: सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारी सरकार ने जो संशोधन किए हैं अब यह देश मजहबी हुकूमत के फरमान से नहीं बाबा साहब अंबेडकर के संविधान से चलने वाला है।
- भारत
- 3 min read

Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के समर्थन में बोलते हुए बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आचार्य बिनोवा भावे के भूदान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि इस देश में भूदान आंदोलन हुआ इसमें जमींदारों से जमीन लेकर गरीबों को दी जाती थी पर सभापति महोदय कभी आपने सुना कि गरीबों की जमीन जमीदारों को मिल जाए। 2013 के बोर्ड ने वह व्यवस्था कर रखी थी यानी वह भूदान आंदोलन था गांधी जी शिष्य विनोबा जी का और आज के गांधियों के नेतृत्व में भूहड़प आंदोलन शुरू हो गया, अगर वह भूदान आंदोलन था तो यह भूहड़प आंदोलन है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मैं एक बात और कहना चाहूंगा जिन हुकूमतों के फरमान की बात की जाती है जितने मुस्लिम बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के बाद हुए उन्होंने बगदाद के खलीफा का खुदवा पढ़ा है, वह विदेशी शासक था, कैसे उसको भारत सरकार मान्यता दे सकती है। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कभी किसी ने कल्पना की, किसी क्रिस्टियन ने तो नहीं कहा कि इंडिया गेट हमारा है, गेटवे इंडिया हमारा है, चर्च नहीं सही और फिर भी चर्चगेट हमारा है, तो फिर यह बात केवल एक के दिमाग में क्यों आती है।
'देश मजहबी हुकूमत के फरमान से नहीं बाबा साहब अंबेडकर के संविधान से चलने वाला'
हमने जो इवेक्यू एक्ट के तहत पाकिस्तान गए हुए लोगों को दे दिया था क्या हमारे जो सिख और हिंदू भाई आए हैं उनकी जमीन में मिली, महाराजा रणजीत सिंह की राजधानी काबुल थी लाहौर तक राज्य था, क्या उन्होंने जमीने दार दान नहीं दी गुरुद्वारा और और मंदिरों को वह मिली है, वो मिलीं क्या, अरे वह तो छोड़िए ननकाना साहब और कारतारपुर साहब तक नहीं मिले। इसे दिखाई पड़ता है कि एक तरफ हम लोगों ने नेगोशिएशन तक नहीं किया। अब हमारी सरकार ने जो संशोधन किए हैं अब यह देश मजहबी हुकूमत के फरमान से नहीं बाबा साहब अंबेडकर के संविधान से चलने वाला है।
Advertisement
मुकाबला शराफत अली और शरारत खान का- सुधांशु त्रिवेदी
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा हमने ईमानदारी से मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए काम किया है। यह मुकाबला शराफत अली और शरारत खान का है, इन जरूरतमंद मुसलमानों की लड़ाई के लिए गरीबों के मन की कसक और कट्टरपंथी ठसक के बीच हमारी सरकार ने गरीबों का साथ दिया है। ईमानदार मुसलमान के लिए उम्मीद है लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो उम्मां का ख्वाब पाले हुए हैं, उनके ख्वाब पर पानी फिर गया है। यह उम्मीद और उम्मां के बीच का भी मामला है।
Advertisement
Published By : Deepak Gupta
पब्लिश्ड 4 April 2025 at 00:30 IST