अपडेटेड 4 May 2024 at 08:25 IST
राहुल के चाचा संजय की भी अमेठी से हुई थी हार, 3 साल बाद की थी वापसी... गांधी परिवार के गढ़ की कहानी
राहुल गांधी ने 2004 में राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा। ये वही सीट है जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी और पिता राजीव गांधी ने किया
- भारत
- 4 min read

Amethi Lok Sabha seat : उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट गांधी परिवार का मजबूत किला रही है। पिछले 25 सालों में ऐसा पहली बार है जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य इस सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है। राहुल गांधी ने अपना पहला निर्वाचन क्षेत्र छोड़ दिया है। इस बार वो अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल गांधी को उम्मीद है कि उनकी इस चाल से विरोधी चारों खाने चित्त हो जाएंगे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे कायरतापूर्ण तरीके से मैदान छोड़ने के तौर पर देख रही है।
राहुल गांधी ने 2004 में अमेठी से ही चुनावी मैदान में कदम रखा था। उन्होंने 10 साल यहां से आसान जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में स्मृति ईरानी के आने के बाद 10 साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं। उन्होंने 2014 का चुनाव स्मृति ईरानी के खिलाफ एक लाख से अधिक वोटों से जीता था, लेकिन इसके बाद स्मृति ने एक आक्रामक प्रचार अभियान चलाया और कांग्रेस के गढ़ अमेठी में सेंध लगाने में कामयाब हो गईं। उन्होंने 2019 में गांधी परिवार के उत्तराधिकारी को 55,000 से अधिक वोटों से हराकर अमेठी सीट जीत ली।
गांधी परिवार के 4 सदस्य बने सांसद
अमेठी को गांधी परिवार का मजबूत किला माना जाता है और करीब 31 सालों तक गांधी परिवार के सदस्यों ने इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है। अमेठी लोकसभा सीट से सबसे पहले सांसद चुने जाने वाले नेता कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी थे, जिन्होंने न सिर्फ 1967 में बल्कि 1971 में भी यहां से जीत हासिल की थी। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था, लेकिन संजय गांधी ने 1980 के आम चुनाव में सिंह को हराकर महज 3 सालों में अपना चुनावी बदला पूरा कर लिया।
उसी साल के आखिर में संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद 1981 में हुए उपचुनाव में संजय के भाई राजीव गांधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को दो लाख से अधिक मतों से हराकर अमेठी से शानदार जीत हासिल की थी। राजीव गांधी ने 1991 तक अमेठी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसी साल उग्रवादी समूह लिट्टे ने उनकी हत्या कर दी। राजीव की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में अमेठी से सतीश शर्मा जीते और 1996 में फिर से सांसद चुने गए, लेकिन 1998 में बीजेपी के संजय सिंह ने उन्हें हरा दिया।
Advertisement
सोनिया गांधी ने छोड़ी सीट
1998 एक बार फिर यह सीट गांधी परिवार के हाथ से निकल गई थी। इसके बाद सोनिया गांधी ने 1999 के चुनाव में संजय सिंह को 3 लाख से ज्यादा मतों से हराकर अमेठी को फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दिया था। सोनिया गांधी ने 2004 के चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और राहुल गांधी को अमेठी सीट सौंपी गई।
राहुल गांधी ने 2004 में भारतीय राजनीति में कदम रखा और अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा। यह वही सीट थी जिसका प्रतिनिधित्व उनकी मां सोनिया गांधी ने 1999 से 2004) और उनके दिवंगत पिता राजीव गांधी ने 1981 से 91 तक किया था। राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार अमेठी सीट पर जीत दर्ज की, लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति इरानी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी।
Advertisement
2019 में राहुल की हार
राहुल गांधी ने अपना पहला चुनाव करीब तीन लाख मतों के भारी अंतर से जीता था। 2009 में वह फिर जीते, लेकिन 2014 में उनकी जीत का अंतर कम हो गया और 2019 में ईरानी से हार गए। स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 4,68,514 मत हासिल कर 55 हजार से अधिक मतों के अंतर से अमेठी सीट पर जीत हासिल की थी। राहुल गांधी को 4,13,394 वोट मिले थे।
इससे पहले 2014 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने 4,08,651 मतों के साथ लगातार तीसरी बार अमेठी सीट पर अपना कब्जा जमाया था जबकि ईरानी को 3,00,748 मत प्राप्त हुए थे। अमेठी और रायबरेली सीट पर 20 मई को मतदान होना है।
(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 3 May 2024 at 20:44 IST