अपडेटेड 23 June 2025 at 18:21 IST
सपा ने 3 विधायकों को किया निष्कासित, लेकिन क्रॉस वोटिंग करने वाले बाकी 4 विधायकों पर क्यों नहीं लिया एक्शन, क्या है जातीय समीकरण?
UP Politics : राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने में पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य और महाराजी देवी भी शामिल थी, लेकिन पार्टी ने इनपर कोई कार्रवाई नहीं की है।
- भारत
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UP News : समाजवादी पार्टी (सपा) ने 23 जून, 2025 को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का हवाला देते हुए 3 विधायकों अभय सिंह (गोसाईगंज), राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज) और मनोज पांडेय (ऊंचाहार) को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इनमें से अभय सिंह और राकेश प्रताप सिंह क्षत्रिय (ठाकुर) समुदाय से हैं, जबकि मनोज पांडेय ब्राह्मण हैं।
पार्टी ने इस कार्रवाई का कारण 2024 के राज्यसभा चुनाव में BJP के पक्ष में क्रॉस-वोटिंग करना और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना बताया गया है। इनकी क्रॉस वोटिंग के कारण सपा के तीसरे उम्मीदवार आलोक रंजन चुनाव हार गए थे, जबकि BJP के आठवें उम्मीदवार संजय सेठ जीत गए थे। क्रॉस वोटिंग करने में सपा के 7 विधायक शामिल थे, पार्टी ने 2 क्षत्रिय और एक ब्राह्मण विधायक के खिलाफ एक्शन लिया है।
बाकी 4 विधायकों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने में पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य और महाराजी देवी भी शामिल थी, लेकिन पार्टी ने इनपर कोई कार्रवाई नहीं की है। पार्टी का कहना है कि विधायकों को सुधार करने के लिए समय दिया गया था। जिन तीन विधायकों पर कार्रवाई की गई है उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई दिया। बाकी 4 बागी विधायकों पर उनके अच्छे व्यवहार की वजह से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पार्टी का मुख्य फोकस PDA गठबंधन पर है। बाकी बागी विधायकों में पूजा पाल और आशुतोष मौर्य जैसे नाम शामिल हैं, जो PDA समुदायों से हैं और उनकी उपयोगिता सपा के लिए रणनीतिक हो सकती है।
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सपा का PDA पर फोकस
वर्तमान में अखिलेश यादव PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति कर रहे हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस कार्रवाई से सपा की PDA रणनीति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि पार्टी का फोकस पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करना है। PDA में क्षत्रिय और ब्राह्मण समुदाय को स्पष्ट रूप से प्राथमिकता नहीं दी गई है। हालांकि, क्षत्रिय समुदाय उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव रखता है। पार्टी के इस फैसले से कुछ क्षेत्रों में आने वाले चुनाव में क्षत्रिय वोटरों के बीच असंतोष हो सकता है।
यूपी में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण हैं, जहां 18% सवर्ण (10%+ ब्राह्मण), 41 कुर्मी विधायक और 34 मुस्लिम विधायक हैं। निष्कासित किए गए विधायक सवर्ण समुदाय से हैं, जो सपा के PDA फॉर्मूले से भटकते हुए BJP नेताओं के साथ नजर आने लगे थे।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 23 June 2025 at 18:21 IST